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बरगद की छांव



*रश्मि वत्स
भारतीय संस्कृति के अनुसार बरगद या वट वक्ष नारीत्व का प्रतीक माना जाता है ।कहते हैं बरगद के पेड़ में बम्हा,विष्णु,महेश तीनों देवताओं का वास है।इसके नीचे बैठकर पूजा,व्रत आदि करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। इसी बदगद की छांव के नीचे ही भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था । सावित्री अपने पति सत्यवान के प्राणों को यमराज से इसी वृक्ष की छांव के तले वापिस मांग लाई थी।वट सावित्री के नाम से व्रत आज भी प्रसिद्ध है । पर्यावरण की दृष्टि हेतु भी यह वृक्ष अति उत्तम है जिसमें अनेक जीवों और पक्षियों का निर्वाह होता है।शुद्ध वायु का संचार,मानव की अनेक आवश्यकता की पूर्ति भी इसी वृक्ष से पूर्ण होती हैं ।अन्नत काल से यह वृक्ष सभी को आश्रय प्रदान कर जरूरतों को परिपूर्ण करता आया है।इसी पेड़ की छांव के नीचे बुजुर्गों की चैपालें ,बच्चों के झूलें सजा करते हैं ।कई राहगीरों को इसी छांव में विश्राम प्राप्त होता है ।परंतु आज मानव अपनी जरूरतों के लिए पेड़ों की कटाई कर रहे हैं।जिसका खामियाजा हम दैविय विपदाओं को प्राप्त कर झेलते हैं। प्रकृति का हनन करना हमारे लिए सबसे बड़ा आघात है। इसलिए पेड़ों का संरक्षण कर अपने पर्यावरण को सुरक्षित रखें। पेड़ो के द्वारा ही हमारा जीवन सुरक्षित है ।पेड़ लगाएँ और  जीवन को रोगमुक्त कराएँ।
*मेरठ(उत्तर प्रदेश)


 


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