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महिला लघुकथाकार गोष्ठी संपन्न


"वैश्विक महामारी के संकट काल में जब हम एक दूसरे से मिल नहीं सकते ऑनलाइन गोष्ठियों में मिलना और एक दूसरे को सुनना बहुत आसान हो गया है । ये उद्गार थे कार्यक्रम की अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव के जो उन्होंने अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच की महाराष्ट्र इकाई द्वारा आयोजित ऑनलाइन महिला लघुकथा गोष्ठी में व्यक्त किए। कार्यक्रम 6 जून की संध्या "विश्व मैत्री मंच" की महाराष्ट्र इकाई की प्रांतीय अध्यक्ष लेखिका आभा दवे द्वारा आयोजित किया गया। जिसमे देश-विदेश के पच्चीस लघुकथाकारों ने भाग लिया। कार्यक्रम का सुंदर संचालन नम्रता सरन सोना ने  सरस्वती वंदना शिप्रा वर्मा ने तथा आभार मृदुला मिश्र ने प्रदर्शित किया।


कार्यक्रम की मुख्य अतिथि रूपेंद्र राज तिवारी ने सभी की लघुकथाओं का बेहतरीन आकलन करते हुए अपनी बहुत ही मार्मिक लघुकथा सोशल डिस्टेंस का पाठ किया जिसमें कथानायिका अम्मा की पीड़ा उभर कर आई। इस क्रम में सबसे प्रथम उषा सक्सेना जी की लघुकथा फिर मिलेंगे एक कलात्मक, बिंबात्मक ,सुंदर शैली में बहुत मार्मिक कथा कही   शोभा रानी तिवारी जी ने दर्द के शीर्षक से मजदूरों का दर्द बयान किया एक सार्थक कथा संवाद शैली में कही गई  रजिया रागिनी जी की लोक डाउन प्रस्तुति बहुत ही प्रभावपूर्ण पूर्ण रही सामयिक विषय को सकारात्मक संदेश प्रतिपादित करती हुई है अच्छी कथा रही .
सत्यवती मौर्य जी ने भूख की निशानदेही के माध्यम से मजदूरों के पलायन का दर्द तथा जिस घटना को आपने कथा का माध्यम बनाया बहुत ही प्रभावशाली और मार्मिक कथा बनी . वंदना श्रीवास्तव जी ने रोटी शीर्षक से कथा कही जिसमें एक श्रमजीवी स्त्री की बेबसी का मार्मिक चित्रण किया गया . ज्योति गजभिए ने बहुत ही अच्छा संदेश दिया अपनी कथा कोरोना संवाद के माध्यम से संप्रदायिकता के फैलते जहर को आपने युवाओं द्वारा आपसी मित्रता को दर्शाती हुई घटना का उल्लेख कर बहुत ही सुंदर कथा कहीं .. संतोष श्रीवास्तव  ने गुलाबी चुनरी के माध्यम से संक्रमण काल में प्रेम से पगी एक कथा कहकर प्रेम के शाश्वत होने का उदाहरण दिया युद्ध की स्थितियों में भी प्रेम जीवित रहता है एक बहुत सकारात्मक कथा..
उषा साहू जी ने छोटे बड़े लोग के शीर्षक से एक कथा कही जिसमें गरीबों की प्रवृत्ति जो हमेशा मदद के लिए तत्पर रहते हैं उसे बताया . लता तेजेश्वर जी ने क्वॉरेंटाइन पर एक कथा कही जिसमें गरीबों की लाचारी और महामारी के बढ़ते उस दर को प्रदर्शित किया सकारात्मक सार्थक कथा कहीं अलका पांडे जी ने विशाल रोटी के माध्यम से एक शिक्षाप्रद कथा कही जिसमें रोटी कमाने को कड़वे घूंट पीने के लिए मनुष्य बेबस होता है एक यथार्थ को कहती हुई कथा है . उषा सोनी जी ने परोपकार के माध्यम से ढूंढो की पोल खोलती हुई एक बहुत बढ़िया कथा कही जिसमें उपदेश देना तो सरल है किंतु उस पर चलना बहुत कठिन बहुत सार्थक कथा कही.प्रभा शर्मा जी ने  सकारात्मक सोच के माध्यम से कथा कही जो बौद्ध कथा के रूप में है एक कथा सकारात्मक संदेश दे रही है कथा.



नीरजा ठाकुर जी ईश्वर नामक कथा कही, मजदूरों के पलायन की मार्मिक स्थिति को दर्शाया गया तथा मदद के लिए आए हुए किसी एक व्यक्ति को भी भगवान की संज्ञा देते हुए इस कथा में मानवता का पुट प्रदर्शित किया. अर्चना पांडे जी की कथा ऐसा क्यों एक बहुत ही सार्थक प्रश्न पूछा इस कथा के माध्यम से कि मनुष्य ने इस तरह की विकट परिस्थितियां किस तरह पैदा कर दी कि आज महामारी से विश्व त्राहि-त्राहि मची हुई है . आभा दवे जी ने  बिछड़े लोग सामयिक परिस्थितियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कथा किंतु अंत  सकारात्मक बन पड़ा है इसका एक सार्थक कथा हुई . शारदा गुप्ता जी ने पुराने जमाने के एक शानदार कथा कही जिसमें क्वॉरेंटाइन लोग के रहते किस तरह से व्यक्ति अपने पुराने दिनों को जी रहा है परिवार खुशहाल है एक छत के नीचे.. शिप्रा वर्मा जी ने लोकडाउन जरूरी था के माध्यम से वही संदेश दिया कि अस्त-व्यस्त जीवन को किस तरह से पटरी पर लाया गया और एक परिवार में उनके दायित्वों की शिक्षा दी गई इसकी कथा के माध्यम से . मृदुला मिश्रा जी ने मृत्युपथ पर एक बहुत ही मार्मिक कथा कहीं इसका अंत बहुत मार्मिक बड़ा किस तरह से एक मजदूर परिवार घर पहुंचते-पहुंचते उसका मुखिया मृत्यु के मुंह में पहुंच जाता है . अलका सिगतिया ने दिमागी वायरस के माध्यम से विज्ञान तथा व्यावहारिकता को परिभाषित करते हुए एक वैचारिक कथा कहीं. शेफालिका श्रीवास्तव जी ने सामंजस्य में बताया कि किस तरह से परिस्थितियों से सामंजस्य बनाना व्यक्ति सीख जाता है .मीरा  त्रिपाठी पांडे जी ने जो कथा कहीं वह कर्म पथ है इस कथा के माध्यम से इन्होंने कर्म को प्रधान तथ्य माना तथा कर्म के माध्यम से व्यक्ति अपने दायित्वों की पूर्ति कर सकता है .
माया जी ने कर्तव्य के माध्यम से जात पात से ऊपर मनुष्यता के कर्तव्य को प्रतिपादित किया अपनी कथा के माध्यम से .
नम्रता शरण जी ने मोक्ष नामक कथा कहकर बहुत ही बढ़िया सांकेतिक सकारात्मक कथा कही जिसके माध्यम से उन्होंने कर्म को प्रधान माना। आज के इस ऑनलाइन कथा गोष्ठी में सभी महिला लघुकथाकारों ने अपना योगदान दिया और बहुत ही सकारात्मक कथाएं बुनी ।


 


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