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किसान



*डॉ. भवानी प्रधान
भोला भाला है किसान
देश का है अभिमान
खेती बारी करता
सबका पेट भरता है किसान
मिट्टी में उगाता अन्न
मेहनतकश है किसान
रिमझिम बारिशों में
भीगता है किसान
कँपकंपाती रातों में
ठिठुरता है किसान
जेठ की दोपहरी में भी
नहीं थकता है किसान
फिर भी कर्ज में क्यों
डुबकर मरता है किसान
अपने कर्म से देश की
तकदीर लिखता है किसान
नहीं रुकता नहीं थकता
सोना उगलाता  है किसान
अपने छोटे से गाँव में
खुश रहता है किसान
मुसीबत चाहे कितनी आये
चुपचाप सहता है किसान
भारत का धड़कन है
पुरुष ये महान है
धरा में बसी जान है
जग का पालनहार है
जय किसान जय जय किसान ।
*रायपुर (छत्त्तीसगढ़ )



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