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कलम को आंदोलन बना दिया साहित्य प्रेमियों ने 


 


 

जयपुर । सत्य ही साहित्य है व साहित्य ही साधना है। साहित्यनुरागी जब अपनी कलम से समाज, देश ,सियासत पीड़ा,स्त्री वेदना के साथ ही अनेक कुरूतियों को अपनी कलम से शब्द उकेरते है तो जैसे वो एक आंदोलन बन जाती है। भले ही कोरोना आपदा ने पूरे देश को लॉक करके घर बैठा दिया था लेकिन कलम के सिपाही को न कोई वायरस रोक सका न कोई विपदा ।  

कभी हार नहीं मानने वाले साहित्यकार रचनाकार कलमकार इन कलाकारों ने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कभी भी आई विपदा को भी अपने हौसलों से परास्त किया है। लॉकडाउन के इस दरमियां भले ही सजीव कार्यक्रम नहीं हो पाए हो परंतु अत्याधुनिक तकनीक के जरिए साहित्य से जुड़ी अनेक संस्थाओं ने घर बैठे सोशल मीडिया के विभिन्न डिजिटल प्लेटफार्म पर साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे काव्य गोष्ठी, वरिष्ठ साहित्यकारों के साक्षात्कार,कहानी,कविताएं प्रस्तुत कर साहित्य जगत को नई दिशा दी।

डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए साहित्यनुरागियों ने काव्य प्रेमियों को व्हाट्सएप, फेसबुक,  इंस्टाग्राम ,गूगल मीट,ज़ूम पर सजीव लाइव प्रसारण कर साहित्यप्रेमियों की क्षुधा शांत की। हम बात कर रहे हैं ऐसी ही कुछ संस्थाओं की जिन्होंने ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन कर सबको ऊर्जावान व उत्साहित बनाये रखा।

इनमें सबसे ज्यादा सामजिक सरोकार में अग्रणी संपर्क साहित्यक संस्थान की तीन माह से लगातार चल रहें विभिन्न डिजिटल कार्यक्रम चर्चित रहें । लॉकडाउन संपर्क संस्थान की गतिविधियों पर लॉक नहीं लगा सका । संपर्क ने ऑनलाइन 

काव्यगोष्ठी के जरिए प्रदेश समन्वयक व इन आयोजन की सूत्रधार रेनू शब्दमुखर के सानिध्य में देशभर के 24 राज्यों की सैकड़ों लेखिकाओं रचनाकारों को एक मंच पर लाकर सृजनात्मक काव्य गोष्ठी,  साक्षात्कार, चर्चा परिचर्चा आयोजित की। इन कार्यक्रमों की विशेषता ये रही की संस्थान ने इस दौरान देश की नामचीन संचालकों से सभी गोष्ठियों में अलग-अलग को संचालन का मौका दिया। इसी तरह अनेक काव्य पाठ व आलेख प्रतियोगिताओं में विजेताओं को पुरस्कृत भी किया। इसी तरह अन्य संस्थाओं में राज. लेखिका साहित्य संस्थान,पालनहार फाउंडेशन, राष्ट्रीय सहज काव्य मंच आदि संस्थाओं, अजमेर लेखिका मंच  ने इस दौरान रचनात्मक आयोजन कर सकारात्मकता का संदेश दिया। 

 इनका कहना है

*सम्पर्क संस्थान अध्यक्ष अनिल लढ़ा ने बताया की लॉकडाउन होते ही कोरोना आपदा के चलते आमजन में निराशा की भावना उत्पन्न हो गई। संपर्क संस्थान विगत कई वर्षों से साहित्य के क्षेत्र में देश भर के अलग-अलग शहरों में पुस्तक विमोचन सहित अनेक बड़े कार्यक्रम का आयोजन कर रहा था । आपदा की इस घड़ी में  कार्यकारणी ने तय किया कि हम घर बैठे साहित्यप्रेमियों व  रचनाकारों को एक मंच पर लाकर सकारात्मकता का संदेश देवें । संस्थान में विगत 3 महीनों में डिजिटल माध्यम के जरिए देशभर के साहित्यकारों में एक नई अलख जगाई ।

*राज.लेखिका साहित्य संस्थान की अध्यक्ष डॉ.जयश्री शर्मा ने कहा कि संस्थान 30 वर्षों से साहित्य के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं ।इस दौरान हमारी रचनाकार बहनों ने व्हाट्सएप ग्रुप के जरिये इस संकट की घड़ी में रचनात्मकता को जारी रखने हेतु कई काव्य प्रतियोगिताएं आयोजित कराई ।

*राष्ट्रीय सहज विचार मंच के अध्यक्ष डॉ.संदीप अवस्थी का कहना है कि कथासागर नाम से  लॉकडाउन के दौरान 9 एपिसोड करवाये गए जिसमें जाने माने सहित्यनुरागी शामिल हुए और इस कार्यक्रम की खास बात यह रही कि हर कवि और कथाकार के ऊपर एक आलोचक टिप्पणी भी की गई।

*पालनहार फाउंडेशन की सचिव संगीता राजा ने कहा- लॉकडाउन में घर बैठे महिलाएं ऊर्जावान ऊर्जावान रहे इसलिए अनेक कार्यक्रम हमने व्हाट्सएप के जरिए आयोजित किए गए। हम इस  श्रृंखला को अनवरत जारी रखेंगे ।

*सृजनशील साहित्यिक मंच से सुरेंद्र कु.शर्मा ने कहा कि हमने गजल, गीत,दोहा, हाईकू , मुक्तक , अछाँदस काव्य रचनाएं, स्वलिखित कथा कहानी,  लघुकथाएं इत्यादि व्हाट्सएप पटल पर आयोजित कर इस लॉकडाउन के समय का  सदुपयोग किया है। बोधि प्रकाशन के माया मृग जी ने भी लाइव कार्यक्रम करवा के साहित्य के प्रसार में अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया है।अजमेर लेखिका मंच ने भी इस दौरान कई कार्यक्रम लाइव कार्यक्रम आयोजित करवाए।

 


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