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हाँ मैं वक्त हूँ



*अंजनी कुमार

मैं तुम्हारा भूत था,

मैं तुम्हारा भविष्य हूँ,

मैं ही तुम्हारा वर्तमान हूँ

मेरे बिना तुम्हारा कोई अस्तित्व ही नही

जान लो, मैं ही तुम्हारी पहचान हूँ

मैं ही तुम्हारा ख़्वाब हूँ

मैं ही तुम्हारा अरमान हूँ

मैं ही जमीन हूं

मैं ही आसमान हूँ

मैं ही तुम्हारी चंचलता हूँ

मैं ही तुम्हारा अभिमान हूँ

मैं ही तुम्हारी सफलता-विफलता हूँ

मैं ही तुम्हारा सुबह और शाम हूँ

मैं ही कई सवाल हूँ, मैं ही खुद हर जबाब हूँ

मैं ही हवा और आंधी-तुफान हूँ

मैं अच्छों के लिए अच्छा और बुरों के लिए सख्त हूँ!

हां मैं वक्त हूँ!!

मैं ही जिन्दगी हूँ

मैं ही विश्राम हूँ

मैं ही मंजिल हूँ

मैं ही रूझान हूँ

मैं ही दौड़ हूँ

मैं ही थकान हूँ

मैं ही शब्द हूँ

मैं ही व्याख्यान हूँ

मैं ही आदि और अंत हूँ

मैं ही परिवेश और मैं ही परिधान हूँ

मैं ही महामारी, मैं ही विषाणु हूँ

मैं ही समस्या, मैं ही समाधान हूँ

मैं ही जोश और जुनून हूँ

मैं ही गर्म रखता तुम्हारा रक्त हूँ!

हाँ मैं वक्त हूँ!!

मैं ही बिगाड़ता तुम्हारा हर चाल हूँ

मैं सही तो तुम सही, करता तुम्हें मैं ही परेशान हूँ

मैं ही तुम्हारा मान-सम्मान हूँ

मैं ही संयोग हूँ, मैं ही वियोग हूँ

मैं ही आँसू और मैं ही तुम्हारी मुस्कान हूँ

मैं ही नूतन हूँ, मैं ही प्राचीन हूँ

मैं ही तुम्हारा ज्ञान हूँ 

मैं ही तुम्हारा शोध हूँ

मैं ही आधुनिक विज्ञान हूँ

मैं ही तुम्हारा एतबार हूँ

मैं ही तुम्हारा गुमान हूँ

मैं ही हर मर्ज और मैं ही इलाज हूँ

पर, क्यों तुम मुझे पहचानते नही, यह सोचकर

मैं भी हैरान हूँ

तुम मानो न मानो, मैं भी करता अपना काम हूँ

मैं भी सदा अपने में रहता मस्त हूँ

हाँ मैं वक्त हूँ!

हाँ मैं वक्त हूँ!!

*टेल्को, जमशेदपुर




 



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