*निशा अमन झा
भारत में लोग कम कीमत में अधिक सफर करने में यकीन रखते हैं। यह देश माइलेज को लेकर काफी सजग है। ज्यादातर हिन्दुस्तानी गाड़ी चलाते समय अपने दिमाग में एक ही बात रखते हैं कि आखिर अपनी कार से अधिक से अधिक माइलेज कैसे हासिल की जाए। हालांकि, ईंधन बचाने की अपनी इस कोशिश में हममें से कई लोग लंबे समय में अपनी कार को नुकसान पहुंचा लेते हैं। इसकी बड़ी वजह ड्राइविंग से जुड़ी खराब आदतें होती हैं, जिनके कारण फायदे के स्थान पर कई बार नुकसान हो जाता है।
ये बातें सामने आते ही दिमागी कसरत शुरू होगी! प्रशन पड़ा? सच मेरा भारत महान है! और लोग जागरूक कुछ भी कहो जनता-जनार्दन बहुत सजग और समझदार तो हैं! आफर्स, बचत और फायदे के लिए कितना सोचतीं है! परन्तु क्या जान को बचाने के लिए भी इतना ही गम्भीरता रखती हैं!" हाँ भाई - हाँ " बस क्या था मैंने भी आंकलन करना शुरू कर दिया! अब क्या जब आंकड़ों को देखा तो पैरों तले जमीन निकल गई! अरे भाई क्या बताऊँ मैं घर में ही 50 का आकडा दिखाई दे गया! मामा - चाचा, ताऊ - भय्या सब के सब हादसे का शिकार बने और तो और याद आया मेरे बाबा, बाबा तो नहीं जानते, कैसे जानोंगे वो तो गुजरा जमाना हो गया! भाई, पर मुझे याद है वो इराक - इरान की लडाई लड़े थें! पर कई बार पैर की घुटनों की कटोरी घुमाकर आ जाते थे! जबकि तब सायकल और लुना और स्कूटर हुआ करते थे और अब घर - घर में कार हैं! लोग समझदार जो हो गए! पढे - लिखें हो गयें! हवा में उड़ते पर जमीन की हकीकत को नहीं जानते! भाई कार जो है वो हवा में चलती हैं! और जब ब्रेक लगाओ तभी रूकती हैं! ब्रेक नहीं लगाया तो हम मरेंगे या बचेंग पता नहीं पर सामने वाला तो गया समझों! जानो दो कौन सा रिश्तेदार हैं! पर भाई एक बार सोच तो सही आज उसकी तो कल अपनी बारी भी तो हो सकतीं हैं! न फिर थोड़ा सा संभालकर चलना! बीमा कंपनी तो है वो गाड़ियों को भी संम्भवतः संभल ही लेती हैं और इन्सान के घर वालों को भी यदि बीमा हुआ तो नहीं आया राम वर्सेस गया राम... जिन्दगी रहीं तो मिलेंगे कहीं न कहीं, नहीं तो ऊपर मिल ही जायेंगे! पर बस एक ही अफसोस रहेगा कि "मारने वाले ने हाल न पुछा", भाई एक प्रार्थना/रिक्वेस्ट जो समझ आये गाड़ी तो तुम्हरी अपनी ही हैं! मजे हैं पर दुसरों की जान को खतरा मत दो भाई वैसे भी कोरोना -19 चल रहा! और 2021 बहुत - बहुत दूर है.....
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