*अतुल पाठक
जैसा कि हम सबको विदित है न सिर्फ हमारा देश अपितु समूचा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी (कोविड-19) की चपेट में आकर प्रगति की पटरी से बहुत नींचे उतर चुका है जो कि सोचनीय है। इस गम्भीर समस्या को ध्यान में रखते हुए हमें स्वदेशी योजनाएं बनाने होंगी। यह सोचना इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि भविष्य की योजनाओं पर आज की अर्थव्यवस्था में आई मंदी का गहरा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए हमें स्वदेशी वस्तओं को महत्व देकर स्वदेशी भाव अपनाना चाहिए। जिससे हमारा देश आत्मनिर्भर भारत बने। हमारे देश को सुसंपन्न और सामर्थ्यवान भारत बनाने में स्वदेशी भाव का बहुत बड़ा योगदान है। आज पुरुषों के साथ महिलाएं भी भारत को आत्मनिर्भर भारत बनाने में अपना अमूल्य योगदान दे रही हैं। संक्रमण काल में महिलाएं आत्मविश्वास की नई उड़ान भरकर आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना से नारी शक्ति को प्रोत्साहित कर सम्पूर्ण मानव समाज में आत्मनिर्भरता की अलख जगा रही हैं। इस महासंकट के दौर में महिलाएं संक्रमण फैलने से रोकने और आर्थिक मंदी से निपटने के लिए नारी सशक्त मोर्चा संभाल रही हैं। देश-प्रदेश में महिलाएं मास्क , पीपीई किट व सैनिटाइजर का निर्माण कर रही हैं। जिससे महिलाओं को रोजगार भी मिल रहा है और आत्मनिर्भर बनने का सपना भी साकार हो रहा है। स्वदेशी रोजगार से जन-जन का आत्मविश्वास भारत को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की ओर बढ़ रहा है। एक प्रण लेने की हम सभी को बेहद ज़रूरत है और यह स्वेच्छा से लेना भी चाहिए कि चीनी वस्तओं का सम्पूर्ण बहिष्कार किया जाए और स्वदेशी को दिल से अपनाया जाए। स्वदेशी अपनाकर हम अपना पैसा अपने ही देश की आर्थिक व्यवस्था को सुधारने में निवेश करेंगे जो कि एक बेहतर पहल है जिसमें हम सभी को बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। यह पहल हर देशवासी के लिए प्रेरक सिद्ध होगी। अंत में यही प्रण लेना है स्वदेशी अपनाना है भारत को आत्मनिर्भर बनाना है।
*जनपद हाथरस(उ.प्र.)
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