ऐसे में हमने कोरोना के कहर और लॉकडाउन के चलते परिवार, देश और समाज पर पड़ने वाले असर और घर बैठकर सुगमता से तनाव रहित समय बिताने के लोगों के गुन जानने के लिए कुछ सुधि साहित्यकारों, शिक्षकों और कलाकारों आदि से पिछले दिनों बात की। कुछ लोगों के अनुभव, प्रेरक विचार और सलाह यहां हम अपने पाठकों के लिए भी प्रस्तुत कर रहे हैं। उम्मीद है आप सब भी उनका लाभ उठाएंगे।
- किशोर श्रीवास्तव, दिल्ली (परिचर्चा संयोजक)
बच्चों और खुद को सृजनात्मक कार्यों से जोड़ें
- रेखा श्रीवास्तव (काउंसलर/ब्लॉगर), कानपुर
सावधानी ज़रूरी
- विभोर अग्रवाल (शिक्षक),बिजनौर (उप्र)
चुनौतियों के बीच अवसर
- मीनाक्षी भसीन,(अनुवादक,लेखिका)दिल्ली
अपने साथ रहने की ठान लें
ऐसा समय हमें दोबारा नहीं मिलने वाला, इस बात को ध्यान में रखकर बहुत कुछ सार्थक किया जा सकता है। वह सब कुछ, जिसे करने के लिए हम समय ढूंढ़ते थे और हमें समय नहीं मिलता था। कोई पुराना शौक, कोई ज़रूरी काम, सुकून के चंद लम्हे या अपनों के साथ खो गई नज़दीकियां। आइए, ऐसी ही कुछ तरकीबों से 'लॉक डाउन' के इन दिनों को न सिर्फ आसान बल्कि ख़ुशगवार बना दें। ज़्यादा मुश्किल नहीं है यह। बस एक बार ठान लीजिए "अपने साथ रहना है और ख़ुश रहना है।"
-प्रतिमा सिन्हा (रंगकर्मी), वाराणसी
ऑनलाइन कार्य को प्रोत्साहन
लॉकडाउन ने हमें घर पर सीमित कर दिया है। इसने हमें सोचने-विचारने का बहुत समय दे दिया है। अनेक कार्य ऐसे हैं जिन्हें घर बैठे किया जा सकता है। सरकार ने बच्चों को घर पर कार्य देने के लिए कई प्रोग्राम बनाए हैं। ऐसे कार्यक्रम शिक्षक भी स्वयं पढ़ाते समय बना सकते हैं। ताकि वे घर बैठे अपना शिक्षण कार्य कर सकें। ऐसा ही कई अन्य क्षेत्रों में भी हो सकता है। बीमा कंपनी में बहुत से काम कार्यालय में होते हैं। जैसे, जन्मतिथि प्रमाणपत्र की स्कैन, आधार कार्ड जैसे कई कागजात नेट पर लोड करना आदि। ये सब कार्यालय में होते हैं। इन्हें घर पर भी किया जा सकता है। जांचने और उसकी प्रमाणिकता का कार्य कार्यालय कर सकता है। ऐसे ही तहसील कार्यालय के अधिकांश कार्य को आनलाइन किया जा सकता है। जाति प्रमाणपत्र, निवासी प्रमाणपत्र जैसे कार्य को आनलाइन किया जा सकता है। इससे कागजी कार्यवाही कम होगी। तहसील कार्यालय आदि में भीड़ भी कम होगी। इस प्रकार से ऐसे कई कार्य हैं जिन्हें आनलाइन करके लॉक डाउन को सफल बनाया जा सकता है.
- ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश'(शिक्षक), नीमच, मप्र
अपने शौक को नया आयाम दें
हम चाहे तो थोड़े से प्रयास से लॉकडाउन को उपयोगी बना सकते हैं। अभी समय मिला है तो, परिवार के साथ क्वालिटी टाइम बितायें। हो सके तो सुबह जल्दी उठें और उगते हुये सूरज को देखें और अपने अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार महसूस करें। पुराने अल्बम निकालें परिवार के सभी सदस्यों के साथ देखें, ऐसा महसूस होगा जैसे उस जिंदगी को हम दोबारा जी रहे हों। खाली समय में सोसल मीडिया की जी भर कर सैर करने के साथ अवांछित खरपतवार को भी हटाएँ। उपलब्ध कलमों और बीजों को गमलों में लगायें और उनकी देखभाल करें, जब उनमें फूल और फल पैदा होंगे तो आपकी खुशी देखने लायक होगी। योगा और मेडिटेशन न करने के पीछे हमारा पहला तर्क समय की कमी ही होता है। तो अब उपयुक्त समय है, तन-मन रिफ्रेश करने का। इस प्रकार से हम में से अधिकांश लोगों का आपका जो भी शौक हो नृत्य, गायन, वादन, पेंटिंग, कुकिंग उसे वक्त है नया आयाम देने का।
- पूजा अग्निहोत्री (पटकथा लेखक) छतरपुर, मप्र
भागते नहीं, ठहरे वक्त की कद्र
भारत में लाॅकडाउन काफी हद तक सफल है, सफलता का यही रास्ता भी है। अन्यथा हम भी कब्रिस्तान की कमी का रोना रो रहे होते। कल भागते वक्त की तेजी देखी। आज अपनों के साथ ठहरे वक्त की मिठास महसूस की। अपने और अपनों से मिलने का समय। नहीं! अभी लाॅक डाउन खत्म करना अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना है। खुलते ही टूट पड़ेंगे भारतीय। पहले परिस्थितियाँ कंट्रोल में आने की संभावना थी, नयी परिस्थितियों में बढ़ते कोरोना मरीज को देखते हुए किसी भी कीमत पर खुली छूट नहीं दी जा सकती, अन्यथा हम सबको बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। भुक्तभोगी देशों का उदाहरण सामने है। भारतीय हर बात हल्के में लेने के आदी हैं, मजाक में भी परंतु अब तो जग रहे हैं, गंभीरता को समझ रहे हैं। यह सच है कि बहुत तरह की दिक्कतें आएंगी और आगे बढ़ेंगी परंतु मौत के आगे सब कम है। यह महामारी जानलेवा, उससे भी ज्यादा तकलीफ़देह कि यह संक्रामक है।मुसीबत में करें दूर से सबकी भरपूर मदद, अपनी क्षमता से ज्यादा । घर में खाली समय का घरेलू कार्यों में उपयोग करें। खुद हिम्मत रख, हौसला बढ़ाएँ सबका। हम सबको मिलकर इस संक्रामक बीमारी से है लड़ना।
-अनिता रश्मि (साहित्यकार) रांची, झारखंड
सुधार का मौका
दुनिया में चीन के बाद भारत दूसरा घनी आबादी वाला देश है साथ ही क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से जनसंख्या घनत्व भी ज़्यादा है। कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने की दर भारत में यूरोप के देशों की अपेक्षा बहुत कम है। परिस्थितियों को देखते हुए भारत में लॉक डाउन पूरी तरह सफल रहा है । कुछ नासमझ लोगों की गलती या कुछ लोगों की मानवीय भूल के कारण आँकड़ा ज़रूर बढ़ा है पर भारत में लॉक डाउन पूरी तरह सफल ही रहा है । इसके समूल नाश तक सोशल डिस्टेन्सिंग, सख्त कानूनी कार्यवाही आदि चलती रहनी चाहिए। मीटिंग, सभाएँ, धार्मिक सामाजिक कार्यक्रमों पर पूरी तरह रोक लगाने की आवश्यकता है। जब तक इसके मरीज़ मिलते रहे तब तक लॉक डाउन को जारी रखने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए । वैसे लॉक डाउन से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष हानि ही नही हुई बहुत से लाभ भी हुए हैं जैसे ग्लोबल वार्मिग में 1.5 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। गंगा-यमुना जैसी नदियों का पानी प्रदूषण मुक्त हुआ है। आसमान साफ़ हो गया है। ध्वनि प्रदूषण कम हुआ है। ये लाभ वो लाभ हैं जिन्हें हम कैसे भी कम नहीं कर पा रहे थे। लॉकडाउन ने प्रकृति के साथ साथ हम में भी सुधार का एक मौका दिया है। एक बात यह भी महत्वपूर्ण हुई है कि हमारे जो बहुत से घरेलू, पारिवारिक काम वर्षों से रुके पड़े थे और हम अंधाधुंध प्रकृति के दोहन में लगे हुए थे; आज उन्हें पूरा करने या राहत देने का हमें अनूठा अवसर मिला है।
- डॉ. भूपेन्द्र कुमार (साहित्यकार) बिजनौर, उप्र
सेवा में सुकून ढूंढ़ें
यह समय खुशियों का हो सकता है पर वास्तव में बहुत कम घरो में ही ऐसा है। हर कोई लॉक डाऊन खुलने और घर से बाहर निकलने के लिये बेकरार है। काम धन्धे बन्द है, इन्कम बन्द है, खर्चे तो है ही। सारा वातावरण अनिश्चितता से भरा हुआ है । फोन पर भी किसी से बात होती है तो भी यही विषय। लोग हँसना गाना भूल गए हैं। सोशल मीडिया ने इस डिप्रेशन टाईम में जहाँ हमारी मदद की है, अकेलेपन को दूर करने की, उतनी ही नेगेटिच रोल भी निभाया है। हर कोई अपने-अपने फोन में खोया है। हर किसी की एक अलग अपनी ही दुनिया है । बाहर निकलने से लोगों से मिलने से जी बहल जाता है। सुख दुख शेयर हो जाता है । मंदिर गुरुद्वारे जाकर मन को शांति मिलती है । पर आज मंदिर गुरुद्वारे सब बन्द पड़े हैं तो आजकल ये बिलकुल भी संभव नहीं है ।बच्चे हो या बूढ़े सब बेचैनी से घरोंं में बन्द हैं। ऐसे में सकारात्मक सोचने की बहुत ज्यादा आवश्यकता है ।
अपनो को फोन करते रहें। हाल चाल बांटते रहे। समय है तो अलसी बनने की बजाय थोड़ा व्यायाम करें। समय पर रोज नहा कर पाठ पूजा करें। दिया जलाएं। हल्का खायें। किसी की मदद कर सकें ती जरुर करें। समय भी सही से बीत जाएगा और मन को भी बेहद सुकून मिलेगा ।
- अंजू खरबंदा (रेडियो आर्टिस्ट) दिल्ली
-प्रतिमा सिन्हा (रंगकर्मी), वाराणसी
ऑनलाइन कार्य को प्रोत्साहन
- ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश'(शिक्षक), नीमच, मप्र
अपने शौक को नया आयाम दें
- पूजा अग्निहोत्री (पटकथा लेखक) छतरपुर, मप्र
भागते नहीं, ठहरे वक्त की कद्र
-अनिता रश्मि (साहित्यकार) रांची, झारखंड
सुधार का मौका
- डॉ. भूपेन्द्र कुमार (साहित्यकार) बिजनौर, उप्र
सेवा में सुकून ढूंढ़ें
अपनो को फोन करते रहें। हाल चाल बांटते रहे। समय है तो अलसी बनने की बजाय थोड़ा व्यायाम करें। समय पर रोज नहा कर पाठ पूजा करें। दिया जलाएं। हल्का खायें। किसी की मदद कर सकें ती जरुर करें। समय भी सही से बीत जाएगा और मन को भी बेहद सुकून मिलेगा ।
- अंजू खरबंदा (रेडियो आर्टिस्ट) दिल्ली
साहित्य, कला, संस्कृति और समाज से जुड़ी लेख/रचनाएँ/समाचार अब नये वेब पोर्टल शाश्वत सृजन पर देखे- http://shashwatsrijan.comयूटूयुब चैनल देखें और सब्सक्राइब करे- https://www.youtube.com/channel/UCpRyX9VM7WEY39QytlBjZiw
0 टिप्पणियाँ