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मौन सांझ



*व्यग्र पाण्डे


सुबह मुखर


मौन सांझ


तपती दोपहरी 


रात बांझ 


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समाधिस्थ पेड़ 


वीरान छांव 


निहारें पखेरू 


ना कांव-कांव


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सर्पिली हवा 


सूरज क्रुद्ध 


दोनों हुए


सबके विरुद्ध 


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व्याकुल सभी 


ग्रीष्म का असर


पंखे - कूलर


सबकुछ बेअसर


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चोटी से एडी


पसीने की धार


तन के कपड़े 


करें तीखी मार


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कवि की कलम


उकेरे चित्र 


गर्मी के रंग 


बड़े विचित्र 


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*गंगापुर सिटी, सवाई माधोपुर (राज.)


 


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