*संजय कुमार सिंह
वैश्विक महामारी कोरोना जो कि चीन के वुहान शहर से निकली ,जिसके सामने लगभग पूरी दुनियां ने घुटने टेक दिये,इस बीमारी से भारत भी अछूता नहीं रह सका 20 मई तक जहां हिन्दुस्तान में एक लाख से पार मरीज हो चुके हैं,वहीं मध्यप्रदेश में भी तेजी से पाव पसार रहा है यहां भी पांच हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं ।
इस वायरस को ज्यादा फैलने से काफी हद तक रोका जा सकता था, शुरुआती दौर में राहुल गांधी जी द्वारा 12 फरवरी को इस बीमारी की गंभीरता को बताते हुए ट्वीट किया गया था,जिसको सरकार के कुछ नुमाइंदे इसको हल्के में लिए और अमेरिकी राष्ट्रपति के स्वागत में लगे रहे इन गलतियों को भी सुधारने का मौका था,लेकिन तभी मध्यप्रदेश में कुछ नेता सत्ता के लालच में विधायकों को इधर से उधर करते हुए लोगों के जिंदगी को खतरें में भी डालने से नहीं चुके और सरकार बनाने तक जनता को उसके हाल पर छोड़ दिये।
आखिरकार अंत में प्रधानमंत्री जी द्वारा22 अप्रैल को भारत बंदी एवं अचानक 24 अप्रैल को देश में लाकडाउन की घोषणा लोगों में अफरा - तफरी का माहौल पैदा कर देती है ,जिससे दिल्ली और उत्तर प्रदेश के सीमा पर मजदूरों का जमवाड़ा लग जाता है और लाकडाउन की धज्जिया उड़ाई जाती है ,इस तरह पहला लाकडाउन बहुत सफल नहीं रहा,दूसरे लाकडाउन में भी कोटा के छात्रों को गांव ले जाना हमारे दृष्टि से उचित नहीं था,इससे गांव में भीइस बीमारी का प्रवेश शुरू हो गया।रही- सही आशा रोकने की जो बची थी तीसरे लाकडाउन में खत्म हो गई, जब मजदूरों का नगरों से गांव की तरफ पलायन तेजी से शुरू हुआ।
जिससे हर जगह के सरकारों का मुखौटा सामने आने लगा जो लंबे - लंबे भाषण देते हुए कहती थी कि भोजन की पर्याप्त मात्रा में व्यवस्था करायी गई है।सड़को पर हजारों किलोमीटर चलने को मजबूर कई मजदूर रास्ते में ही दम तोड़ दिए और लगातार यह सिलसिला जारी है,अंत में सरकारों ने कुछ परिवहन चलवाये जिससे कुछ मजदूर को घर पहुंचने में मदद मिली यह मदद वैसी ही है,जैसे ऊंट के मु़ंह में जीरा।मजदूर या छात्र जब गांव पहुंच रहे हैं तो क्वारंटाइन की सही व्यवस्था सही से न होने पर कुछ लोग बाहर विद्यालय या अन्य जगह पर रूकें हैं तो कुछ लोग घर में,जो कि पूरी तरह असफल होते दिख रहा ,अभी भी सामाजिक कार्यकर्ताओं,नेताओं और प्रशासन को मिलकर ठोस कदम उठाना चाहिए ,जिससे गांव में तेजी से पाव पसार रही ,इस बिमारी को ज्यादा फैलने से रोका जा सके,जिसमें प्रत्येक नागरिक को सहयोग करना चाहिए,वैसे भी प्रधानमंत्री जी बोल चुके हैं आत्मनिर्भर बनिये,इसलिए इस वाक्य का पालन करते हुए अपने जान की रक्षा करते हुए परिवार ,गांव के साथ देश को भी बचायें,हां एक बात और इस बीमारी से घबरायें नहीं,लेकिन सतर्कता जरूर रखें ,इसमें अधिकतर सही होने की संभावना रहती है ,भारत में लगभग 40 हजार लोग ठीक हो चुके हैं तो 3 हजार के आसपास मृत्यु हुई है।मध्यप्रदेश में जरूर उज्जैन और इंदौर की मृत्यु दर चिंतनीय है ,जिसके लिए सरकार को मृत्यु दर रोकने के लिए और बेहतर कदम उठाना चाहिए।उम्मीद है कि सभी लोग कठोरता से नियमों का पालन करेंगे तो इस बीमारी से जल्द ही निजात पायेंगें।
*संजय कुमार सिंह,उज्जैन
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