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हिन्दी और हिन्दुस्तान लिए मातृभाषा उन्नयन संस्थान के 70 दिन


 


इन्दौर।  हिन्दी और हिन्दुस्तान दोनों में एक चीज़ उभय-निष्ठ है जिसे कहते हैं 'प्रेम'। जैसे राष्ट्र से प्रेम होता है वैसे ही भाषा से भी प्रेम होता है। इसी प्रेम रूपी नौका से पर्याय रूपी सागर को पार किया जा सकता है। यही काम किया मातृभाषा उन्नयन संस्थान ने, कोरोना संक्रमण फैलने के भय के कारण 22 मार्च 2020 से पूरे भारतवर्ष में देशबन्दी लागू है, इस देश बन्दी का सदुपयोग करते हुए मातृभाषा उन्नयन संस्थान ने भी ख़ूब कार्य किया। कोरोना काल में मानव सेवा के साथ-साथ निरंतर साहित्य सेवा भी जारी रही। बीते 70 दिनों का बहीखाता तो संस्थान के ध्येय की दृष्टि से मज़बूत हुआ, रचनाकारों को भी अवसाद से लड़ने का हौंसला मिला, सबलता मिली।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान की लॉक डाउन काल में  - 2 ऑनलाइन कवि सम्मेलन, 5000+ कोरोना युद्ध संकल्प, 1250+ प्रमाणपत्र वितरित, 40+ प्रतियोगिताएँ, 4+ साझा संग्रह, 30+ पत्र प्रधानमंत्री के नाम, 3+ डिजिटल परिचर्चा, 100 से अधिक रचनाकार हुए प्रोत्साहित।, 25 से अधिक कवियों को मुकेश मोलवा जी के पृष्ठ से मोलवा जी द्वारा प्रोत्साहित किया गया।, संस्थान के पदाधिकारियों द्वारा 15+ फ़ेसबुक लाइव सत्र, लगभग 4 साझा संग्रह तैयार किए।

दिल्ली से भावना शर्मा जी, शिखा जैन जी, कमलेश कमल जी, डॉ नीना जोशी जी, गणतंत्र ओजस्वी जी, मुकेश मोलवा जी, नरेंद्रपाल जैन जी, जलज व्यास जी, मृदुल जोशी जी, चेतन बेंडले जी, श्रीमन्नारायण चारी विराट जी, रिंकल जी आदि सभी ने मिलकर इस लॉक डाउन के 70 दिनों को महोत्सव में बदलकर रख दिया। यही तो मातृभाषा परिवार की असल ताक़त है जिसके माध्यम से सैकड़ों रचनाकारों को हिम्मत और प्रोत्साहन मिला। कई सारी नई विधाएँ सीखने को मिलीं। इसीलिए ये लॉक डाउन के बेमिसाल 70 दिन यादगार बन गए । मैं समूह के सभी सक्रिय रचनाकारों का आभार  व्यक्त करता हूँ। साथ ही, कार्यकारी दल के श्रम को प्रणाम करता हूँ। साथ ही आशा करता हूँ कि आप सभी का साथ सदैव संस्थान को मज़बूती प्रदान करेगा।

*डॉ.अर्पण जैन 'अविचल', हिन्दीग्राम, इन्दौर


 


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