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डॉ. देवेन्द्र जोशी ने लाॅक डाउन में हर दिन लेखन कर रचा इतिहास


60 दिन में 10 विधाओं में 84 लेख कविताएं रच जागृति का अलख जगाया



उज्जैन। वैश्विक महामारी कोरोना जनित लाॅक डाउन  को दो माह पूरे हो चुके हैं। विश्व इतिहास की संभवतः यह पहली घटना है जब लोगों ने पूरे दो माह घरों में रह कर गुजारे हैं। रेड झोन उज्जैन में एक दिन भी बाहर निकलने की छूट नहीं मिली। ऐसे में सभी अपने दो माह के अनुभव साझा कर रहे हैं। ज्यादातर लोगों के लिए घर में रहते हुए समय गुजारना किसी सजा से कम नहीं था। यही वजह है कि सोशल मीडिया पर कभी धोती चैलेंज, कभी पुराने फोटो चैलेंज तो कभी बीती यादों की स्मृति चैलेंज के जरिये लोग टाइम पास करते देखे गये। जब सबके सामने लाॅक डाउन में समय काटना सबसे बडी समस्या थी तब उज्जैन में एक शख्सियत ऐसी थी जिसने लाॅक डाउन के खाली समय की चुनौती को अवसर में बदल डाला। ये हैं सुप्रसिद्ध लेखक साहित्यकार तथा एक दर्जन से अधिक ग्रन्थों के रचयिता डाॅ देवेन्द्र जोशी। जिन्होंने लाॅक डाउन की पूरी अवधि में हर दिन नित नये विषयों पर सारगर्भित लेख कविताओं का लेखन किया, जिनका देश के प्रताष्ठित समाचार पत्रों में प्रकाशन हुआ और सोशल मीडिया पर इन्हें व्यापक सराहना मिलीपूर्व में लगातार तीन माह में तीन पुस्तक प्रकाशन का कीर्तिमान रचने वाले डाॅ देवेन्द्र जोशी ने कोरोना काल की दो माह की अवधि में कुल 84 मौलिक लेख कविताओं की रचना की। जिनमें 11 विविध लेख, 5 आर्थिक लेख, 7 कोरोना आलेख, 8 उज्जैन से जुडे समसामयिक आलेख, 2 परिचर्चाएं, 4 समाचार आलेख, 8 रामायण संबंधी आलेख / कविताएं, 6 महाभारत संबंधी लेख कविताएं, 5 व्यंग्य और हास्य कविताएं, 13 पारंपरिक कविताएं तथा 15 छंद मुक्त समकालीन कविताएं लिखकर एक नया इतिहास रच डाला। यह 60 दिन की अवधि में किसी रचनाकार का अब तक का सर्वाधिक लिखा, प्रकाशित होकर पढा तथा सराहा जाने वाला लेखन कीर्तिमान है। चूंकि सभी प्रबुद्ध जन इस सबके चश्मदीद गवाह रहे हैं इसलिए यह उपलब्धि स्वयं सिद्ध होकर प्रत्यक्ष प्रमाण पर आधारित है। बल्कि लोगों की स्मृति में रची बसी है। यह समाचार आलेख एक समग्र पुनर्स्मरण मात्र है। यह समूची साहित्य सामग्री अपने आपमें दो पुस्तकों की सामग्री के समतुल्य है। 

जो लोग संभव - असंभव में भरोसा करते हैं उनके लिए यह इस बात की मिसाल है कि एक वैश्विक त्रासदी में भी कोई रचनाकार साहित्य की विविध विधाओं में अपनी कलम चला कर समाज में जागृति का प्रसार कर सकता है। डाॅ जोशी के इन लेख कविताओं के स्तर का आकलन करना होतो सोशल मीडिया पर दर्ज कमेट्स और प्रतिक्रियाओं को देखकर उनकी उत्कृष्टता का अंदाज लगाया जा सकता है। चूंकि ये समूची सामग्री जनता की अदालत में खुली किताब की तरह रही है अतः उस पर यहां अधिक टीका टिप्पणी की जरूरत नहीं है। ये सभी लेख कवितां देश के चर्चित समाचार पत्रों जनसत्ता, नवभारत टाइम्स, लोक सत्य, सुबह सवेरे, जागरण, नवभारत, दै अवंतिका, माटी की महिमा, मालव क्रांति माधव एक्सप्रेस, निर्णायक, उज्जैन सान्दीपनि, तथा विभिन्न मीडिया वेबसाइड आदि पर प्रकाशित और प्रसारित होने के साथ ही 50 से अधिक वाट्स ऐप समूह तथा एक दर्ज फेसबुक समूह पर साझा हुई है। जिससे उसकी पाठकीय पहुंच का सहज अंदाज लगाया जा सकता है। इसके अलावा जोशी ने गूगल के वोकल ऐप पर 40 दिन में जनरल नालेज तथा शिक्षा संबंधी 625 प्रश्नों के जवाब दिए तथा 743 फाॅलोवर्स ने इन्हें फाॅलो किया। लाॅक डाउन अवधि में 1 लाख 34 हजार 118 विवर्स ने इन जवाबों को सुना औरज पसंद किया। ये समूची दास्तान प्रतीक है इस बात की कि जहां चाह है वहां राह है। समय अच्छा - बुरा नहीं होता। मनुष्य के द्वारा किया गया कर्म ही याद रह जाता है। समय तो जैसे आता है वैसे सी चला भी जाता है। प्रकाशित लेख कविताओं के शीर्षक वार लेखक के 60 दिवसीय रचना कर्म पर दृष्टि डाली जाए तो उसका वर्गीकरण इस प्रकार होगा-

 

विविध आलेख

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* हे अमृत पुत्रों सुविधा की खोल से बाहर निकलो

* नशा शराब में होता तो नाचती बोतलें

* क्योंकि मां अतुलनीय है

* मनोरोग का कारण बनता सोशल मीडिया

* मैं समय हूं ...आवाज का जादू

* गर्मी की छुट्टी की सुनहरी यादें

* थम सी गई है उज्जयिनी

* संयम से सफलता की दास्तान

* कोरोना शब्दावली आई डिक्शनरी में

* मजदूर दिवस पर मजदूर की आत्मकथा

 

अर्थिक विषयों पर लेख

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* पैकेज का आर्थिक सुधार : नगदी छोडो लो उधार

* जादू की छडी नहीं स्वावलम्बन

* मिले सुर मेरा तुम्हारा तो स्वावलम्बी बने देश हमारा

* विपदा की घडी में अमीरों की मदद ऊंट के मुंह में जीरा

* मजदूरों पर टूटा मुसीबतों का पहाड

 

कोरोना से उपजी स्थिति पर आलेख

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* कोविड -19 का हासिल मिले दिल से दिल

* कोरोना जंग के बहाने पुलिस की दास्तान

* कोरोना जंग : पत्रकारों की सुध कब ली जाएगी

* कोरोना का जाना और जिन्दगी पटरी पर आना

* असली चुनौती लाॅक डाउन की मुश्किलों से पार पाना

* डाॅक्टरों पर पत्थर बाजी शर्मनाक

* कोरोना महामारी जागरूकता में ही है समझदारी

 

उज्जैन पर आधारित आलेख/ समाचार कथा

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* कोरोना अकाल मौतों में उज्जैन अग्रणी

* उज्जैन आ चुके हैं ये रामायण कलाकार

* रामायण सीरियल में उज्जैन के संगीतकार

* रामायण के सुषेण वैद्य की दास्तान

* उज्जैन आ चुके है महाभारत के दुर्योधन

* महाकाल की कृपा का फल है रामायण की सफलता

* कोरोना काल में थम सी गई उज्जयिनी

* तमसा तट नाटक लिखने वाले चंवरे जी की दास्तान

 

समाचार आलेख / परिचर्चा

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* मालवा थिएटर के मालवी नाटकों की धूम (परिचर्चा)

* लाॅक डाउन में सृजन सक्रियता की जो मिसाल बने (परिचर्चा)

* लोकल के वोकल बने डाॅ जोशी

* खाली सी किताब है जिन्दगी फिर भी लाजवाब है जिन्दगी

* लाॅक डाउन में विवाह - कुर्यात सदा मंगलम

* कोरोना शब्दावली डिक्शनरी में आई 

 

रामायण संबंधी आलेख/ कविता

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* आज भी मौजूद है लवकुश आश्रम

* क्यों है सीता भारतीय नारियों में आदर्श

* विवादित प्रसंग जो रामायण का हिस्सा नहीं है

* रामायम सार ( कविता )

* एक दुर्वा का बल (कविता )

* काल बडा बलवान है ( कविता )

* न कैकयी बुरी न दशरथ निर्दोष ( कविता )

* कोरोना पाॅजिटिव - माय व्यू (कविता)

 

महाभारत संबंधी आलेख/ कविता

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* विध्वंसात्मक महाभारत युद्ध का सृजनात्मक परिणाम

* संजय की दिव्य दृष्टि चमत्कारी ही नहीं वैज्ञानिक भी

* द्वापर की एक प्रेम कहानी जो बदली प्रेम विवाह में

* महाभारत युद्ध में लडे थे उज्जैन के दो राजकुमार

* तत्कालीन नारी अत्याचार की प्रतीक है द्रौपदी

* हर दिन हर पल महाभारत (समकालीन कविता)

 

व्यंग्य/ हास्य कविता  

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* करमजले कोविड -19 को कलम की खरी - खरी ( व्यंग्य)

* दवा और दारू (मालवी हास्य कविता)

* कोरोना की कराह में गुम उज्जयिनी की आह और वाह (व्यंग्य)

* ऐ मेरे वतन के लोगों (गीत पैरोडी)

* वारे पठ्ठा भारी (मालवी हास्य कविता)

 

कविताएं

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* मजदूर...मंजिल अभी दूर

* थाली से तरकारी गायब, दाल रोटी के दिन आए

* लाॅक डाउन में रविवार

* कोरोना पैगाम

* मजदूर पर सियासत

* कोरोना काल और ... कवियों का हाल

* अभिनन्दन एक कलमकार का

* धुंधली कविता

* हंसी इबादत है पूजा है

* रामायण सार

* डाॅक्टर की शहादत

* पलायन पीडा

* किसी का भरोसा न तोडें

 

छन्द मुक्त कविताएं

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* समय सो गया है

* ये कैसा वसुधैव कुटुम्बकम

* जो खुद खबर बन गया पत्रकार

* मजबूरी का सुखद बदलाव

* पल दो पल की छांव

* बिन लाश अंतिम संस्कार

* हिन्दू की अर्थी मुस्लिम कंधे पर

* समय चक्र का उल्टा घूमना

* कस्तूरी मृग

* कौन अपना कौन पराया

* खिलौने वाले हाथ में भोजन के पैकेट

* ये कैसा अपनापन

* सन्नाटे का निनाद

* कोरोना काव्य कथा

* कोरोना तो एक बहाना है (नवभारत टाइम्स में प्रकाशित)

 

वोकल ऐप / ऑन लाईन सक्रियता

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* 625 प्रश्नों के ऑन लाईन उत्तर दिए

* 743 फाॅलोवर्स जुटाए

* 40 दिन में 1 लाख 34 हजार 118 विवर्स बने

* 4 ऑन लाइन कवि गोष्ठी में सहभागिता

* 6 ऑन लाईन साक्षात्कार

 


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