*पुखराज जैन पथिक
दिल से दिलों के तार मिलाती है बेटियाँ ,
सपनें अधुरे, कुल के सजाती है बेटियाँ ।
कम नहीं जमाने बेटियाँ ये जान लो,
दीपक सा मान मिलता पूजाती है बेटियाँ
कोसो न बेटियों को उनका है जमाना ,
आने वाली पीढ़ी बनाती है बेटियाँ ।
भ्रूण को कोख मे यूं ही न मिटाओ ,
कुदरत का ये उपहार कहाती है बेटियाँ
दो कुल को एक डोर मे बान्ध रखे ,
दोनों घर का मान बढा़ती है बेटियाँ ।
*पुखराज जैन पथिक, नागदा (उज्जैन)
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