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भोले का अभिषेक



*रमेश शर्मा, मुम्बई


बच्चे खड़े कतार में ,भूखे जहाँ अनेक ।


वहीं दूध से हो रहा,भोले का अभिषेक ।।


 


जिसने भी दिल से किया, भोले का गुणगान ।


बदले में उसको मिला,मन चाहा वरदान।।


 


भूत प्रेत पशु खग सकल,सभी थाम कर।


भोले के परिवार में,रहते हिलमिल साथ।।


 


चन्दा साजे शीश पर, गल सर्पों का हार ।


करें नित्य शव-भस्म से,महाकाल शृंगार।।


 


दिनभर खाने को मिले, फरियाली बिंदास ।


इसीलिये करते कई, शिव जी का उपवास ।।


 


भूखे को रोटी नहीं ,कभी खिलाई एक ।


निराधार है आपका, शंकर का अभिषेक ।।


*रमेश शर्मा, मुम्बई


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