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प्रतियोगी परीक्षाओं के नाम पर छात्रों के साथ धोखा करती सरकारें















*सुरजीत मान जलईया सिंह

आज भारत का युवा बेरोजगारी के पहाड़ के नीचे दबकर अपने विवेक की शून्यता पर पहुँच गया है वह रोजगार पाने की चाह में यह भूल गया है कि सरकारें किस तरह उसे परीक्षाओं के नाम पर लूट रही हैं। यह कहना गलत नहीं है कि भारतीय युवा वर्ग के सामने बेरोजगारी बड़ी समस्या है किन्तु उसके सामने एक बड़ी समस्या यह भी है कि सरकारें छात्रों से प्रतियोगी परीक्षाओं के नाम पर जो धन लूट रही हैं वह क्यों? वास्तव में यह सरकारों की सोची समझी रणनीति है धनार्जन करने की जिसकी तरफ बेरोजगारी की वजह से छात्र अपना ध्यान ही नहीं दे पाते और सरकारों का छात्रों की विवशता के मध्य धन की लूट का व्यापार निरन्तर फली-भूत हो रहा है। यह व्यापार आज से नहीं बहुत लम्बे समय से चलता आ रहा है युवा को परीक्षा के नाम पर नौकरी के नाम पर जिस तरह लूटा जा रहा है जो सिर्फ नौकरी के नाम पर उसके साथ एक छलावा है। आज भारत के विभिन्न राज्यों में बहुत सारी नौकरी की विज्ञप्तियाँ प्रकाशित होती हैं जिनके लिए विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के पास होने के मानक हैं। भारत के सभी राज्यों में राज्य स्तर पर व केन्द्र के स्तर से टेट और सी टेट की परीक्षा दे भारतीय बार काउन्सलिंग व अन्य संस्थाओं द्वारा विविध परीक्षाएँ आयोजित की जा रही हैं जो सरकारों द्वारा सिर्फ धनार्जन हेतु कराई जा रही हैं। जब आपके पास एम ए, बी एड, एल एल बी या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु डिग्रियाँ हैं तो यह परीक्षाएँ देश में क्यों आयोजित की जा रही हैं या तो आप मानध डिग्रियों(एम ए, बी एड, एल एल बी या अन्य) को समाप्त करिये या इन परीक्षाओं को जिनको पास करना सिर्फ छात्रों के साथ एक धोखा है। छात्र पहले शिक्षा स्नातक करे फिर सी टेट पास करे उसके बाद शिक्षक बनने के लिए एक प्रतियोगी परीक्षा दे, छात्र एल एल बी करे उसके बाद अधिवक्ता बनने हेतु ऑल इण्डिया बार की परीक्षा दे ऐसी आदि परीक्षाओं का एक जाल भारतीय युवा से धन लूट का एक अन्तरिम ढ़ग है जिसे भारतीय युवा ने चुपचाप स्वीकार कर लिया है यह सब छात्रों के साथ सरकार और संस्थानों द्वारा छात्रों के साथ किया जाने वाला ऐसा अपराध है जो पूर्णत: सरकारों एवं संस्थानों की अपनी मनमानी है।

 

*सुरजीत मान जलईया सिंह

 दुलियाजान, असम 

 


 














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