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विक्रम विश्वविद्यालय में मनाया गया विजय दिवस











 

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की एन.सी.सी. यूनिट द्वारा 16 दिसम्बर को विजय दिवस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बालकृष्ण शर्मा की अध्यक्षता में राजनीति विज्ञान एवं लोक प्रशासन अध्ययनशाला में मनाया गया।  विजय दिवस के अवसर पर भारतीय सेना के प्रतिनिधि के रूप में नायब सुबेदार श्री बलविंदरसिंह, 10 मध्यप्रदेश बटालियन एन.सी.सी. उज्जैन का सम्मान किया गया।

कुलपति प्रो बालकृष्ण शर्मा ने अध्यक्षीय उद्बोधन में शहीद भारतीय सैनिकों को श्रद्धासुमन अर्पित किए। उन्होंने कहा कि भारतीय सेना के जवानों के कारण हम अपने घरों में शांति की नींद सो रहे हैं। हमारे भारतीय सैनिक कठोर से कठोर स्थितियों में चाहे वह माईनस डिग्री बर्फ हो या बारिश हो या अंधेरा हो, हर परिस्थितियों में अपनी सीमा पर जान हथेली पर रखकर तैनात रहते हैं। आज की युवा पीढ़ी को इस बारे में शायद जानकारी ना हो लेकिन हमने 1971 के युद्ध को नजदीक से महसूस किया है। इस दौरान शहरों में ब्लेक आउट किया जाता था। इस अवसर पर उन्होंने ने राष्ट्रीय धारा के प्रसिद्ध कवि माखनलाल चतुर्वेदी की कविता के अंश भी सुनाए।

 

इस अवसर पर नायब सुबेदार बलविंदरसिंह ने अपने भाषण में विजय दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 16 दिसम्बर 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर विजय प्राप्ति है। इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को करारी मात देते हुए पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश के रूप में अलग पहचान दिलाई थी। इस युद्ध में लगभग चार हजार भारतीय सैनिक शहीद हुए एवं लगभग दस हजार सैनिक घायल हुए। इसके पश्चात भारतीय सैनिकों ने लगभग 93 हजार सैनिकों को युद्ध बंदी बनाया था। 1971 का युद्ध भारत की सबसे बड़ी जीत है। इस कारण प्रत्येक वर्ष 16 दिसम्बर को विजय दिवस मनाया जाता है।विजय दिवस के अवसर पर स्वागत भाषण एवं अतिथि परिचय लेफ्टिनेंट कनिया मेड़ा ने दिया। साथ ही विजय दिवस पर विस्तार से प्रकाश डाला।इस अवसर पर बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय के शिक्षक, छात्रगण, अधिकारी एवं कर्मचारियों के साथ एन.सी.सी. के छात्र सैनिक भी उपस्थित थे।कार्यक्रम का संचालन डाॅ. जितेन्द्र शर्मा ने किया। आभार डाॅ. रामकुमार अहिरवार, संकायाध्यक्ष, विद्यार्थी कल्याण विभाग ने माना।



 









 



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