*डॉ साधना गुप्ता*
आओ स्व भाषा में सीखें सब आज हम
सोने की चिड़िया विशेषण से जो पहचाना जाता था
विश्व गुरु की पदवी से सम्मान किया जाता था
पायी अपनी भाषा के बल,यह आन,बान शान थी
अपनी भाषा मे शिक्षण कर दुनिया को बुद्ध,महावीर दिये
वेद,उपनिषद के संग,विश्व का पहला गणराज्य दिया
चरक,सुश्रुत,पाणिनी,आर्यभट्ट,पतंजलि,,कौटिल्य दिए
दिया गीता का ज्ञान-"निष्काम कर्मयोग दिया
तक्षशिला-नालन्दा विश्वविद्यालय, शिक्षा के स्तम्भ दिए
तानसेन,तुलसी,ताजमहल ,अतुलनीय सार दिए
ये सब स्व भाषा के बल,देवनागरी आधार रही
अब क्योंअंग्रजी? संस्कारहीन,बेकारी बढ़ती जाती
होता निज संस्कृति-पतन संग अपनापन का हास,
ना अब सोने की चिड़िया, ना विश्वगुरु का रहा ताज
आओ स्व भाषा में ,सीखें सब आज हम ।
*डॉ साधना गुप्ता, झालावाड़ राजस्थान
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