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अतीत के पन्नों से





*रश्मि एम मोयदे*







 

गर्मी की छुट्टियों में बच्चों के आने की खबर सुनकर शरीर में काम करने की ताकत थोड़ी ज्यादा हो जाती है, सोचा थोड़ी सफाई कर ली जायें, सफाई करते करते पुरानें कपड़ों के साथ पुराने स्वेटर और कुछ ऊन के गोले हाथ लग गयें,  में उन्हे हाथ में लेकर सहलाने लगी, हाथ वर्तमान में  उन्हें सहलाने में लगे थे और मन भूतकाल में पहुंच गया। 

मन सन् 1980 के इर्द-गिर्द, जबलपुर की हाऊसिंग बोर्ड, हाथीताल कालोनी के क्वाटर्स की गलियों में चला गया।

हमारे क्वार्टर के सामने ही P&T डिपार्टमेंट के जनरल मैनेजर श्री शर्माजी रहते थे, सबने  उन्ही का टेलीफोन नंबर अपने रिश्तेदारों को दे रखा था।

जबलपुर  में बढ़ी जोरदार ठंड हुआ करती थी, उन दिनों हाथ से बने स्वेटर बनाने और पहनने का बहुत चलन था, ऊन बेचने वाले साइकिल पर ऊन के गट्ठर रखकर गली गली घुमतें थे, जैसे ही ऊन वाले की आवाज सुनाई देती थी, घर के सारे काम छोड़कर सभी महिलाएं अपने अपने घर से निकल कर बाहर साइकिल वाले के आसपास खड़ी होकर ऊन खरीदने में लग जाती थी।

क्या भाव है, ऊन।

ठीक ठीक लग‌इय्यो भाव।

बहनजी आप पहले ऊन पसंद तो कीजिए, आप लोगों को तो मैं उसी भाव में देता हूं जिस भाव में खरीदता हूं।

हां हां हम भी तो तुमसे कितना ऊन खरीदते हैं।

बोहनी का टाइम है, बहनजी।

हमसे तो तुम्हारी बोहनी शुरू होती है।

अरे छोडिए भाभी, अब ऊन पसंद कीजिए।

जे वारो कैसन दियों।

काय जीज्जी जे वारो कैसन लगेगो।

काय वरमाइन किसके लेन बनाय र‌ई हो।

काय जीज्जी आप भी, मिसेज वर्मा थोड़ी शरमा के बोली  मोड़ा,मोड़ी  के वास्ते  बनाय र‌ई हूं, 

वर्माजी के लेन नी बनाओगी।

मिसेस कोहली  आप नही खरीद रही है क्या?

ना जी ना मै तो देहरादून से बढ़िया क्वालिटी का ऊन और स्वेटर्स खरीद कर लाती हूं, ये फेरी वाला सस्ता ऊन मेरे यहां किसी को पसंद नहीं ।

 

ऊन खरीदने से ज्यादा तो बातें करती थी।

अरे, शर्माइन भाभी कैसेन हो।

ठीक ही है, तुम कैसन हो शालू की मम्मी।

इतने में गीता की मम्मी आ गई, शर्मा दीदी नमस्ते।

नमस्ते।

दीदी तबियत तो ठीक है ना आपकी।

हां हां ठीक है, मुझे क्या हुआ।

थोड़ी सुस्त लग रही हो।

बस रात में नींद नहीं हुई ठीक से।

शांता की मम्मी ने चुटकी लेते हुए, ओय होय मिसेज शर्मा ऐसा क्या हो गया, सबने जोरदार ठहाका लगाया

मिसेज शर्मा बोली  असल में रात 11बजे सभरवाल जी के किसी रिश्तेदार का फोन आया था, इतनी ठंड में बुलाने गई, बहुत आवाजें लगाई, बहुत देर के बाद, बड़ी मुश्किल से दरवाजा खोला, फिर घर आकर दोनों पति-पत्नी फोन पर घंटो इधर उधर की बातें करते रहे।

बाद में मेरी बनी चाय की चुस्कियां लेते रहें।

उनके जाने के बाद बड़ी मुश्किल से नींद लगी, थोड़ी देर में ही अलार्म घड़ी बजने लगी, ना चाहते हुए भी  भी उठना पड़ा, जैसे तैसे बच्चों को स्कुल भेजा, शर्माजी की डाट अलग पड़ी, क्या जरूरत थी इतनी रात को चाय पिलाने की, अब आप लोग ही बताइए इतनी कड़ाके की ठंड में  चाय नही पिलाती तो बेचारों की कुल्फी न जम जाती।

चलिए दीदी अब दोपहर को आराम कर लीजिएगा।

अरे बेबी की मम्मी कैसा आराम, दो-दिन से काम वाली बाई छुट्टी पर हैं।

आजकल कामवाली बाईयों के भी बहुत नखरे हो गये है, आये दिन छुट्टियां लेती है, इन्हे कुछ बोल भी नहीं सकते हैं, साथ ही साथ  चीन्टू को होमवर्क करवाना है, मिंटू के कल  से टेस्ट है, आप को तो पता है, कि आजकल कितना काम्पिटीशन बड़ गया है।

चलो फिर मिलते हैं।

क्या करें सारी कालोनी वालों ने अपने रिश्तेदारों को शर्माजी का नंबर दे दिया है।

ये दीदी भी गजब करती है, क्या जरूरत है दौड़ दौड़ कर सभी को बुलाने की, चलो हमें क्या करना है, अपन तो किसी के लेने में ना देने में।

अब यहां की दोपहर देखिए।

बहुत सी महिलाएं एक आंगन में बैठी है, कुछ महिलायें मैथी तोड़ रही है, तो कुछ ऊन के गोले बना रही है और कुछ के हाथ स्वेटर सलाइयों पर तेजी से चल रहे है।

अरे भाभी किसका स्वेटर बुन रही हो, कौन सा डिजाइन डाल रही हो।

बस ऐसे ही जिसका भी बन जायें, अभी तो शुरुआत है।

इन दोनो की बातें सुनकर मिसेज वर्मा और मिसेज नायक मुस्करा रही है और आंखों ही आंखों में एक दूसरे को इशारे कर रही है।

शालू की मम्मी इसे अभी जानती नहीं है, ये स्वेटर का प्लेन पल्ला तो सबके बीच में  बैठकर बनाती है और डिजाइन वाला पल्ला घर में सबसे छुपा कर बनाती है।

हां भाई इसका स्वेटर कामन ना हो जायेगा।

हम ही बुध्दु है, जो सबको सब डिजाइन बता देते हैं।

हां दीदी आप सही बोल रहे हो।

छोड़ो स्वेटर के अलावा ओर भी बहुत से काम है, पहले उन्हें निपटा लें।

सभी महिलाएं अपने अपने घर चली जाती है।

पूरी ठंड बस यही सब चलता रहता था।

अरे भाई आज खाना नहीं मिलेगा क्या? पति देव की आवाज सुनकर मैं अतीत से अपने वर्तमान में लौट आई।

वो दिन भी क्या दिन थे, लगता है जैसे कल की ही बात हो।

 

*श्रीमती रश्मि एम मोयदे उज्जैन











 























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