Subscribe Us

नवीन माथुर पंचोली की गजल






*नवीन माथुर पंचोली*


दिखा दो  हौसलों अंजाम अपने।


सँवर जायेंगे फिर से काम अपने।


हवा उनको ज़रा  सा छेड़ दे तो,


घटाएँ  छोड़  दे  आराम अपने।


सदाएँ, इल्तिज़ाएं और दुआएँ,


यही है  अब हँसी पैगाम अपने।


जिन्हें पाया है हमने  हसरतों से,


वही सच्चे   हैं सब इनाम अपने।


सितारे,  चाँद,सूरज और समंदर,


कि जैसे हैं सभी अब नाम अपने।


*नवीन माथुर पंचोली, अमझेरा धार (म.प्र) मो.9893119724







शब्द प्रवाह में प्रकाशित आलेख/रचना/समाचार पर आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया का स्वागत है-


अपने विचार भेजने के लिए मेल करे- shabdpravah.ujjain@gmail.com


या whatsapp करे 09406649733



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ