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मेरी माँ (कविता)






*राजीव डोगरा*


हजार गलतियां करने पर भी
जो मुझे माफ करती है,
वो मेरी मां है
जो मुझे बस प्यार करती है।
मैं ढूंढता रहा इश्क
मैं तलाशता रहा मोहब्बत,
मगर वो मेरी मां है।
जो बिना बोले ही
मुझे बहुत प्यार करती है।
मैं लिखता रहा गम
मैं सुनाता रहा दर्द,
मगर वो मेरी मां है
जो बिना मेरे बोले ही
हर तड़फ मेरी समझा करती है।
मैं ढूंढता रहा सहारा
मैं तलाशता रहा इशारा
मगर वो मेरी मां है
बिना बोले ही हाथ थाम मेरा
हर मुसीबत में
संग मेरे चला करती है


*राजीव डोगरा, ठाकुरद्वारा मो. 9876777233  







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