Subscribe Us

लोभ पाप का बाप बखाना

















वर्तमान में अधिकांश लोग शिक्षित  और चतुर हैं और उनके साथ धोखा देने वाला उनसे अधिक होशियार और मुर्ख बनाने वाला होगा .आज जब यह समाचार पढ़ा तब समझ में आया की हम सब लोग लोभ के वशीभूत उनके चंगुल में फंसते हैं .
आज सरकारी बैंक आपके जमा पैसों को वापिस नहीं कर रहा हैं तब निजी व्यवसायियों और कंपनी पर आज कितना भरोसा कर सकते हो.
अपना धन दूसरों को सौपना और फिर यह भरोसा करना की वह वापिस करेगा वह भी अधिक लाभ के साथ यानी यह निरि मूर्खता हैं .यह सही हैं की पहले विश्वास पैदा करने आपको लाभ देगा और उसके चक्रव्यूह में आप कब कैसे फंस जाते हैं .उस समय अपने किसी विश्वासी पर विश्वास नहीं करते और ठगने के बाद फिर रोते क्यों ?
इसमें हमारी लोभ वृत्ति  का मूल कारण होता हैं .जैसे घरों घर दुगना सोना करने वाले ,गहनों की साफ़ सफाई वाले ,सस्ते में सोना देने वाले हमेशा धोखा देते हैं और हम लोभवश उनके चंगुल में फंसते हैं .
आज दिन रात मोबाइल के माध्यम से धोखाधड़ी के मामलों से आगाह किया जाता हैं उसके बाद भी हम उनके जाल में फंस जाते हैं .
क्या है मामला?
पंजाब ऐंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (PMC) बैंक घोटाले के बाद महाराष्ट्र में एक और बड़े घोटाले का अंदेशा जताया जा रहा है। प्रदेश में एक जूलरी स्टोर के बंद होने के बाद हजारों लोगों की हालत खराब है। दरअसल, इन लोगों ने इस स्टोर की फिक्स्ड डिपॉजिट तथा गोल्ड स्कीमों में भारी-भरकम निवेश कर रखे हैं, लेकिन स्टोर के मालिक पिछले कई दिनों से अपनी दुकानें बंद कर फरार हैं। जब पुलिस जूलरी स्टोर गुडविन स्टोर्स के मालिकों सुनील कुमार तथा सुधीश कुमार के डोंबिवली स्थित आवास पर पहुंची तो उसे बंद पाया, जिसके बाद इसी इलाके में स्थित उनके शोरूम को सील कर दिया।
कंपनी की दो स्कीमें
1. पहली स्कीम में फिक्स्ड डिपॉजिट पर 16% इंट्रेस्ट की पेशकश की गई थी।
2. दूसरी स्कीम में डिपॉजिट के एक साल पूरे होने पर गोल्ड जूलरी देने की पेशकश की गई थी। कोई निवेशक एक साल के लिए एक महीने में चाहे कितनी भी रकम का निवेश कर सकता था। निवेशक अपनी रकम के बराबर गोल्ड ले सकता था या कैश चाहने वालों को 14 महीने के लिए इंतजार करना पड़ता था।
जमा लाने के लिए एजेंट्स की नियुक्ति
कंपनी ने जमा लाने के लिए कमिशन आधार पर एजेंट्स की नियुक्ति कर रखी थी। एक अन्य निवेशक ने कहा कि वह और उनके भाई ने कंपनी में इसलिए एक लाख रुपये निवेश किया, क्योंकि इससे एजेंट की आजीविका चलती थी। उन्होंने कहा, 'हमारे पिता ने पांच साल पहले निवेश शुरू किया था। हमने गोल्ड स्कीम में निवेश बरकरार रखा, क्योंकि उससे होने वाली आय से एजेंट की आजीविका चलती थी।' खबर फैलते ही ठाणे के शोरूम के बाहर भी लोगों का जुटना शुरू हो गया। एक और निवेशक अनुया मिसाल ने कहा, 'मैंने तीन लाख रुपये का निवेश किया था और स्वास्थ्य पर भविष्य में होने वाले खर्च के लिए बचत कर रहे थे।'  
ऐसे धोखेबाज़ लोग अपने कागजात ऐसे तैयार करते हैं जिसमे आपको अपना भविष्य उज्जवल दिखाई देता हैं पर उसके पीछे कितनी कुरूपता छिपी होती हैं जब उनका काण्ड उजागर होता हैं .जब बैंकों में धोखाधड़ी हो रही है तो ऐसे लोगों से कौन सुरक्षित रहेगा .
चाणक्य ने भी लिखा हैं की अपना धन दूसरों के देना यानी जीते जी नरक के समान हैं .कोई कितना भी भरोसा वाला हो वही धोखा देता हैं .और उसके पहले हम लोभ के वश में फंसते हैं।इसीलिए कहा गया हैं की लोभ पाप का बाप होता हैं .इसके कारण सब दुखी होते हैं ।


*डॉ अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल मो 09425006753









 













शब्द प्रवाह में प्रकाशित आलेख/रचना/समाचार पर आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया का स्वागत है-


अपने विचार भेजने के लिए मेल करे- shabdpravah.ujjain@gmail.com


या whatsapp करे 09406649733



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ