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क्या तुम भी रोए हो (कविता)



*विजय कनौजिया*



तुम भी अपनी याद में
मुझको संजोए हो
मेरी तरह तन्हाई में
क्या तुम भी रोए हो..।।

यादों के उस चलचित्र में
मैं आज भी उलझा
मेरी तरह चलचित्र में
क्या तुम भी खोए हो..।।

न जाने कितनी रातें
जागकर गुजार दी
मेरी तरह क्या रात में
तुम ऐसे सोए हो..।।

तेरा ख़याल दिल से
न निकल सका कभी
न और कोई भाया
तुम जैसे भाए हो..।।

तुम भी अपनी याद में
मुझको संजोए हो
मेरी तरह तन्हाई में
क्या तुम भी रोए हो..।।
क्या तुम भी रोए हो..।।

*विजय कनौजिया,जोरबाग,नई दिल्ली



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