Subscribe Us

दम तोड़ रही पत्र लेखन की कला (लेख)






*सुनील कुमार माथुर* 


पत्र लेखन भी एक कला है । लेकिन आज मोबाइल व नेट सुविधाओं के चलते लोगों ने आज पत्र लिखना बंद कर दिया है जिसके कारण जहां एक ओर हम शब्दों के सही इस्तेमाल को भूलते जा रहें है । आज व्हाइटसएप पर जो कुछ भी आता है हम उसे दूसरों को भेज देते हैं । इसमें हमारा दिमाग लगाने की जरूरत नहीं है । जैसा आया वैसा ही हमनें उसे आगे सरका दिया 


            फोन से हम अपनी टूटी-फूटी भाषा में दूसरों को संदेश भेज देते हैं । जबकि पहले लोग पत्र लिखा करते थे । अगर पोस्टकार्ड का कोना फटा है तो किसी की मृत्यु के समाचार माने जाते थे । लोगों के घरों में पोस्टकार्ड, अंतर्देशीय और लिफाफे पडे रहते थे । जब कोई डाक आती थी तो उसका तत्काल जवाब दिया जाता था । 


             हिम्मत कुमार सोनी , चेतन चौहान, एम मनोहर एच थानवी, ओ पी सक्सेना, सुनील कुमार माथुर, मदन रंगा , नेमिचन्द्र जैन भावुक  जैसे लोग आये दिन पत्र लिखा करते थे । पत्र की भाषा उच्च कोटि की होती थी और पढने वाले को चिंतन मनन के लिए विवश करते थी । पत्र न केवल एक पत्र ही होता था अपितु ज्ञान का भण्डार हुआ करते थे । उन्हें बार बार पढने को मन करता था ।



            पुराने लोगों के पास आज भी कई लोगों के पत्र उनके संग्रह में सुरक्षित है जिन्हें मात्र इस वजह से संजोकर रखा गया है कि उनकी भाषा को बार बार पढने को मन करता है वही दूसरी ओर उनकी लेखनी हमें उनकी याद को ताजा कराती है । पत्र लेखन से जहां एक ओर राइटिंग में सुधार होता था वही कम शब्दों में अधिक बात कहने की कला सीखने को मिलती थी । मगर आज के बच्चों के पास मात्र टूटी-फूटी भाषा है जिसके माध्यम से वे अपनी बात रखते है । 


             उनके पास शब्द कोष नहीं है । मात्र मोबाइल में लगे रहते है । रात दिन मोबाइल में आंखें गडाये बैठे रहने से जहां एक ओर राइटिंग में सुधार नहीं हो रहा है वहीं दूसरी ओर हम अपनी ही हिन्दी भाषा में कम अंक ला रहे है । पत्र लेखन का अपना महत्व है जो हमारी लेखन क्षमता को बढाता है वही हमारे शब्द कोष को मजबूत और आगे बढाता है । आज इंटरनेट सेवा ने पत्र लेखन पर एक तरह से हमला कर दिया है जिसके कारण पत्र लेखन बन्द सा हो गया है और यही वजह है कि आज डाक कम होने से अनेक लेटर बाक्स हटा दिये गये है व कई डाकघर बंद हो गये है । इस वक्त जिन्हें पत्र लेखन का शौक है तो उनके समक्ष डाक पोस्ट करने की समस्या है चूंकि लेटर बाक्स हटा दिये गये है व डाक सामग्री खरीदने की समस्या है चूंकि अब डाक घर इने गिने रह गये है जो हर मौहल्ला व कॉलोनी में नहीं है । अतः पत्र लेखन जो एक कला थी आज वह दम तोड़ रही हैं ।


*सुनील कुमार माथुर 39/4 पी डब्ल्यू डी कालोनी जोधपुर, मो 9829666682



 





शब्द प्रवाह में प्रकाशित आलेख/रचना/समाचार पर आपकी महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया का स्वागत है-


अपने विचार भेजने के लिए मेल करे- shabdpravah.ujjain@gmail.com


या whatsapp करे 09406649733



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ