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चलो चलें एक दीप जलाएं (कविता)








 


*विजय कनौजिया*
चलो चलें एक दीप जलाएं
दीपों का ये पर्व मनाएं
सुख-दुःख को सब मिलकर बांटें
ऐसा एक सिद्धांत बनाएं
चलो चलें एक दीप जलाएं ।।

सभी ईर्ष्या-द्वैष त्यागकर
संबंधों को मधुर बनाएं
मन का अंधियारा मिट जाए
अंतर्मन में दीप जलाएं
चलो चलें एक दीप जलाएं..।।

सबकी हो खुशहाल दिवाली
सबको मिले पेटभर थाली
भाईचारा बना रहे ये
ऐसा एक अभियान चलाएं
चलो चलें एक दीप जलाएं..।।
 
रीति रिवाज परंपरा में अब
प्रेम भाव सद्भाव निहित हो
आहत न हो कोई हमसे
मिलकर हम सब साथ निभाएं
चलो चलें एक दीप जलाएं..।।

हर घर में फैले उजियारा
सच्ची तभी दिवाली होगी
हर चेहरे पर हों मुस्कानें
ऐसा हम त्योहार मनाएं
चलो चलें एक दीप जलाएं..।।
चलो चलें एक दीप जलाएं..।।


*विजय कनौजिया,काही,अम्बेडकर नगर,मो -9818884701

 













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