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भारतीय शिक्षित समाज की चेतना में व्याप्त हो गए हैं गांधी जी


विक्रम विश्वविद्यालय में गांधी जी की पुस्तकों के अंशों का हुआ सामूहिक वाचन 

मुख्यमंत्री जी के आतिथ्य में भोपाल में हुए राज्य स्तरीय समारोह का सीधा प्रसारण किया गया

गांधी प्रतिमा पर पुष्पांजलि, व्याख्यान एवं फिटनेस जागरूकता दौड़ सम्पन्न


उज्जैन। महात्मा गांधी के 150 वीं जयंती वर्ष के आयोजनों की शृंखला में गांधी जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर 2019 को  विक्रम विश्वविद्यालय के महाराजा जीवाजीराव सिंधिया पुस्तकालय परिसर में गांधी जी की प्रतिमा पर पुष्पाजंलि अर्पित करने के साथ समारोहपूर्वक उन्हें याद किया गया। इस अवसर पर प्रमुख वक्ता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के भारतीय भाषा केंद्र के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो रामबक्ष जाट ने गांधी विचार का प्रदेय पर केंद्रित महत्त्वपूर्ण व्याख्यान दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता  कुलपति प्रो बालकृष्ण शर्मा की। व्याख्यान के पहले भोपाल में माननीय मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ जी के मुख्य आतिथ्य में हुए राज्य स्तरीय समारोह का सीधा प्रसारण उपस्थित शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी और विद्यार्थियों के मध्य किया गया। विश्वविद्यालय की विभिन्न अध्ययनशालाओं और संस्थानों में गांधी जी की पुस्तक हिन्द स्वराज एवं उनकी आत्मकथा सत्य के प्रयोग के अंशों का सामूहिक वाचन किया गया, जिसमें सहभागी शिक्षकों और छात्र - छात्राओं की कुल संख्या 797 रही। इसका समावेश राजभवन द्वारा जारी निर्देशों के अनुरूप विश्व रिकॉर्ड में किया जाएगा।

 

सभागार में व्याख्यान देते हुए  समालोचक प्रो रामबक्ष जी ने कहा कि महात्मा गांधी भारतीय शिक्षित समाज की चेतना में व्याप्त हो गए हैं। उनकी ख्याति अमर है। आम जनता गांधी जी को अपनत्व से प्रेम करती है। राज्य सत्ता नहीं, लोक स्वीकृति बड़ी होती है, यह गांधीजी ने सिद्ध कर दिखाया। उन्होंने अन्याय के सामने अपना सिर नहीं झुकाया। वे जानते थे कि हिंसा से अंग्रेजों को हराया नहीं जा सकता, इसलिए पूरी निर्भयता के साथ अहिंसक क्रांति के माध्यम से देश को आजादी दिलाई।

 

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलपति प्रो बालकृष्ण शर्मा ने कहा कि गांधी जी महान  विचारक थे। उनका विचारात्मक शरीर आज भी जीवित है। गांधी जी के विचारों से जुड़ने के लिए उनके ग्रंथों का अध्ययन आवश्यक है। सत्य, अहिंसा जैसे विचारों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार अंगीकार करने से हमारा समाज और राष्ट्र आगे बढ़ सकते हैं।

 

कुलसचिव डॉ डी के बग्गा ने कहा कि अहिंसा और सत्य के प्रति गांधी जी आग्रह अल्प आयु से ही बन गया था। गांधी जी जीवन में तपस्या और आत्मानुशासित होना सिखाते हैं।  

 

आयोजन की पीठिका प्रस्तुत करते हुए कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि दुनिया को महात्मा गांधी की दृष्टि मानवीय बनाती है। उनके नजरिए से संसार  को देखने की जरूरत है। तब सब प्रकार के भेदभाव और विषमता नष्ट हो जाएंगे। अहिंसा, सत्य और समदृष्टि के बगैर विश्व मानवता का कल्याण सम्भव नहीं है। 

 

इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में फिटनेस एवं स्वच्छता जागरूकता दौड़ लगाई गई, जिसमें कुलपति प्रो शर्मा सहित शिक्षक, अधिकारी और विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

 

आयोजन में महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज की संकल्पना से जुड़ी प्रो रामबक्ष जी की सद्यः प्रकाशित पुस्तक मेरी चिताणी का विमोचन किया गया। डॉ अम्बेडकर पीठ द्वारा आयोजित महात्मा गांधी के जीवन और संदेशों पर केंद्रित पोस्टर स्पर्धा के अंतर्गत बनाए गए पोस्टरों का अवलोकन पीठ के निदेशक डॉ सत्येंद्र किशोर मिश्रा और डॉ निवेदिता वर्मा ने करवाया। भौतिकशास्त्र अध्ययनशाला के प्राध्यापक डॉ निश्छल यादव द्वारा प्लास्टिक मुक्त भारत की संकल्पना के अनुरूप कपड़े की थैलियों का वितरण करवाया गया।  

 

अतिथि स्वागत पूर्व कुलपति प्रो आर सी वर्मा, प्रो एच पी सिंह, कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, अधिष्ठाता, विद्यार्थी कल्याण डॉ आर के अहिरवार, डीसीडीसी प्रो डी एम कुमावत, प्रो शुभा जैन,  प्रो प्रेमलता चुटैल, डॉ डी डी बेदिया आदि ने किया। संचालन हिंदी विभाग के डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन छात्र कल्याण विभाग के अधिष्ठाता डॉ आर के अहिरवार ने किया।

 



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