*सविता दास सवि*
दीपों की माला
सजाएँ हम
अंधियारे को
दूर करें
आया है उत्सव
प्रकाश का तो
मन का तमस भी
दूर करें
कोई भी चौखट
ना सूनी रहे
कोई उदर भी
ना भूखा रहे
सभी को अपना
बनाएं हम
ख़ुशियों की रोशनी
फैलाएँ हम
बड़ो का हो सम्मान
छोटों को प्यार
जोड़े परिवार को
मन के ये तार
यूँ कतारों में प्रकाश
सजाएंगे हम
रंगोली प्रेम की
बनाएंगे हम
कुंठित ना हो कोई
वंचित ना हो
नाउम्मीदी से कोई
परिचित ना हो
एकता की फूलझड़ी
जलाएंगे हम
मन का द्वेष
मिटाएँगे हम
*सविता दास सवि,तेज़पुर ,असम
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