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विश्व का भविष्य सद्भावना से ही सुरक्षित रहेगा


डॉ. शिवमंगल सिंह 'सुमन' स्मृति सप्तदश अ.भा. सद्भावना व्याख्यान माला के चतुर्थ दिवस पर प्रकाश आर. अर्जुनवार का व्याख्यान



उज्जैन। (डॉ गिरीश पण्ड्या) महात्मा गांंधी  का जीवन अपने आप में आदर्शों का ऐसा सागर है जिसकी गहराई अनन्त है। गांधी को समझने की प्रक्रिया भी अनन्त है। गांधी ने शांति और सद्भावना का सन्मार्ग हम सभी को दिया है, इसी मार्ग पर चल कर विश्व का भविष्य सुरक्षित रह पायेगा। गांधी की सद्भावना में वह शक्ति थी कि उनसे घृणा करने वाला व्यक्ति भी उनके संपर्क में आकर उनसे प्रेम करने लगता  था । अशांति की बात करने वाले लोग वे होते है जो युद्ध के सामान का व्यापार करते है। उन्हें डर होता है कि शांति व्याप्त होने से कहीं यह व्यापार बंद न हो जाये। गांधी की सद्भावना को हमें प्रत्येक युवा तक पहुंचाना ही चाहिए। गांधी वह व्यक्तित्व है जिन्हें एक सर्वेक्षण के अनुसार विश्व के सौ सर्वश्रेष्ठ व्यक्तित्वों में से चुनकर सदी का महामानव घोषित किया गया है किन्तु ऐसे गांधी को हम अपने ही देश में भुलाने में लगे है। उक्त विचार गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता (महाराष्ट्र) श्री प्रकाश आर. अर्जुनवार ने भारतीय ज्ञानपीठ में आयोजित कवि कुलगुरू डॉ. शिवमंगल सिंह 'सुमन' स्मृति सप्तदश अ.भा. सद्भावना व्याख्यान माला के चतुर्थ दिवस पर 'महात्मा गांधी की सद्भावना और भविष्य' विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किये। श्री प्रकाश आर. अर्जुनवार ने कहा कि युवाओं में सत्य बोलने की आदत डालना बहुत आवश्यक है। यदि ऐसा हम कर पाते है तो समाज में से भ्रष्टाचार बहुत हद तक समाप्त हो जायेगा। देश के युवाओं में नशे की प्रवृति बढ़ती जा रही है उसे रोकना बहुत ही आवश्यक है तभी हम युवा की प्रतिभाओं को राष्ट्र के विकास में उपयोग कर सकते है और साथ ही स्वस्थ समाज का भी निर्माण कर सकते है। 



अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कालिदास कन्या महाविद्यालय के प्राध्यापक एवं वाणिज्य विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र भारल ने 'शिक्षा, सद्भाव और मानवीय मूल्य' विषय पर कहा कि हम युवाओं को शिक्षित तो कर रहे है किन्तु उनके ज्ञान में वृद्धि नहीं हो रही है। शिक्षा वह है जो आपकी दृष्टिकोण को बदल दे, शिक्षा वह है जो आपमें सफलता का विश्वास उत्पन्न करें, शिक्षा वह है जो आपमें मानवीय मूल्यों का विकास करें, शिक्षा वह है जो विद्यार्थियों में सद्भावना का संचार करें। यदि ऐसी शिक्षा हम दे पाते है तो निश्चित रूप से हमारा समाज एवं विश्व का एक सर्वाधिक शांतिपूर्ण और विकसित समाज बन पायेगा। एक समय था कि लोग घरों से बाहर जाने पर ताला नहीं लगाते थे और परस्पर विश्वास एक दूसरे पर कायम था। यह हमारे नैतिक मूल्यों की शक्ति थी। हमें इस शक्ति को पुनः प्राप्त करना होगा। एक सर्वेक्षण के अनुसार कुल शिक्षित लोगों में से सिर्फ 26 प्रतिशत लोगों के पास ज्ञान या कौशल है। यह आंकड़ा चौकाने वाला है। यह आंकड़ा तभी बदल सकता है जब एक शिक्षक किताब में लिखी जानकारियों के अतिरिक्त ज्ञान विद्यार्थियों को दे।
स्वागत उद्बोधन संस्था अध्यक्ष श्री कृष्णमंगल सिंह कुलश्रेष्ठ ने दिया। व्याख्यानमाला के आरंभ में संस्था की छात्राओं ने सर्वधर्म प्रार्थना प्रस्तुत की। अतिथि स्वागत सावन कुमार नागेश्वर, श्री राकेश भारद्वाज, श्री सुनील भारद्वाज, श्री अनिल नागेश्वर, एड्व्होकेट बी.एल. चौहान, श्री कैलाश नारायण शर्मा, श्री नारायण मंघवानी, श्री आर.वी. यादव एवं श्री गौतम शिल्लारे ने किया। 


इस अवसर पर वक्ताओं का शाल और श्रीफल से सम्मान वरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री प्रेमनारायण नागर जी किया गया। व्याख्यान के पश्चात् देश के विभिन्न भागो से निकाली  जाने वाली  गाँधी शांति यात्रा भी संस्था से निकाली गई जिसमे कई सद्भावना प्रेमियों ने भागीदारी की।  संचालन संस्था निदेशिका सुश्री अमृता कुलश्रेष्ठ ने किया। आभार महाविद्यालयीन प्राचार्य डॉ नीलम महाडिक ने माना।

अ.भा. सद्भावना व्याख्यानमाला में कल दिनांक 30 सितम्बर 2019 सोमवार के आयोजन
सप्तदश अ.भा. सद्भावना व्याख्यानमाला दिनांक 30 सितम्बर 2019 को सांय 5 बजे से प्राध्यापक, बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय वाराणसी के डॉ. सीताराम दुबे 'बौद्ध अहिंसा की प्रकृति एंव सद्भावना स्थापना में उसकी प्रासंगिकता विषय पर अपना व्याख्यान देंगे। तथा अध्यक्षीय उद्बोधन में भोपाल के आर.आई. ई. के प्रोफेसर ' 'संवैधानिक मूल्यःशिक्षा की भूमिका' विषय पर अपने व्याख्यान देंगे। 


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