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सहकारिता महिलाओं की क्षमता बढ़ाने में सहायक है 

डॉ. शिवमंगल सिंह 'सुमन' स्मृति सप्तदश अ.भा. सद्भावना व्याख्यान माला के प्रथम दिवस पर श्रीमती शताब्दी पाण्डे का व्याख्यान



उज्जैन।(डॉ. गिरीश पण्ड्या) सहकारिता महिलाओं को समाज से जोड़ने के योग्य बनाती है तथा नीति निर्धारण के लिए उन्हें प्रेरित करती है। सहकारिता ही महिलाओं की क्षमता बढ़ाने में सहायक है। सहकारिता ही वह माध्यम है जिससे महिलाऐं अपनी योग्यता महसुस करती है। जब महिलाऐं सहकारिता में एकजुट होकर भागीदारी करती है तो स्वयं की आर्थिक उन्नति करते हुये समाज को भी आर्थिक रूप से समृद्ध करती है। सहकारिता के माध्यम से महिलायें ग्रामिण, शहरी एवं सहकारिता के क्षेत्र में सशक्त हुई है। पशुपालन, मत्स्यपालन, डेयरी, शहद निर्माण आदि कई क्षेत्रों में महिलायें सहकारी संस्था का निर्माण कर आर्थिक विकास कर रही है। महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता मिलना बहुत आवश्यक है। उक्त विचार राष्ट्रीय महिला प्रमुख, सहकार भारती, रायपुर की निदेशक श्रीमती शताब्दी पाण्डे जी ने भारतीय ज्ञानपीठ में आयोजित कवि कुलगुरू डॉ. शिवमंगल सिंह 'सुमन' स्मृति सप्तदश अ.भा. सद्भावना व्याख्यान माला के प्रथम दिवस पर 'सहकारिता के माध्यम से मातृशक्ति जागरण' विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किये। श्रीमती शताब्दी पाण्डे ने कहा कि सहकारिता के माध्यम से महिला खातेदारों की संख्या में वृद्धि होती है एवं निवेश भी बढ़ता है। सहकारी आन्दोलन ने महिलओं को समान अवसर प्रदान किये है। महिलाऐं भी पुरूष की तरह निवेश में रिस्क लेने के लिए सक्षम हो रही है। सहकारिता में संचालक मण्डल की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। सहकारिता के माध्यम से कार्य करने वाली महिलाओं में सुसंस्कार एवं सेवाभाव का निर्माण होता है। मातृशक्ति की अधिक से अधिक सहकारी संस्थाओं में भागीदारी होने से संवेदनशीलता और मातृत्व भाव से कार्य होता है।


अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में संभागीय सतर्कता समिति लोकायुक्त के अध्यक्ष श्री शशिमोहन श्रीवास्तव जी ने कहा  कि राष्ट्र का विकास तभी संभव होगा जब समाज में सदभाव का वातावरण होगा। इतिहास गवाह है कि स्वतंत्रता की लड़ाई बिना सामाजिक भेद-भाव के लड़ी गई है। चिंता का विषय यह है कि आज सामाजिक सदभाव का आनन्द हो रहा है। ऐसे में हम सभी का दायित्व है कि हम  राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलकर देश में फिर से सामाजिक समरसता का वातावरण निर्मित करें। हमारी संस्कृति संपूर्ण विश्व को एक परिवार मानने वाली रही है। यदि हम अपने राष्ट्र में सामाजिक सद्भाव से युक्त समाज का निर्माण कर पाते है तो ही हम संपूर्ण विश्व को एकजुट कर शांति और अहिंसा के मार्ग पर लेकर जा सकते है।
समारोह में व्याख्यानमाला के संयोजक श्री प्रेमनारायण नागर विशेष रूप से उपस्थित थे। व्याख्यानमाला के आरंभ में संस्था की छात्राओं ने सर्वधर्म प्रार्थना प्रस्तुत की। अतिथि स्वागत श्री श्री नवीन भाई आचार्य, श्री खुशाल सिंह वाधवा, डॉ. राकेश दण्ड, डॉ. पिलकेन्द्र अरोरा, श्री महेश ज्ञानी, श्री कवि आनन्द, संस्था निदेशक सुश्री अमृता कुलश्रेष्ठ, विद्यालयीन निदेशक डॉ. तनुजा कदरे, महाविद्यालयीन प्राचार्य डॉ. नीलम महाडिक, शिक्षा महाविद्यालयीन प्राचार्य डॉ. रश्मि शर्मा, विद्यालयीन प्राचार्य श्रीमती मीना नागर ने किया। स्वागत उद्बोधन संस्था अध्यक्ष श्रीकृष्णमंगल सिंह कुलश्रेष्ठ ने दिया।  इस अवसर पर संस्था अध्यक्ष श्रीकृष्णमंगल सिंह कुलश्रेष्ठ का उनके जन्मदिवस पर शहर की विभिन्न संस्थाओं द्वारा सम्मान किया गया।
इस अवसर पर वक्ताओं का शाल और श्रीफल से सम्मान किया गया। संचालन डॉ. गिरीश पण्डया ने किया। आभार श्री हरिहर शर्मा ने माना।

अ.भा. सद्भावना व्याख्यानमाला में कल दिनांक 27 सितम्बर 2019 गुरूवार के व्याख्यान
सप्तदश अ.भा. सद्भावना व्याख्यानमाला दिनांक 27 सितम्बर 2019 को सांय 5 बजे से नरसिंहगढ़ के सर्वधर्म वक्ता पण्डित श्री फारूक रामायणी  'सर्वधर्म समभाव' विषय पर अपना व्याख्यान देंगे एवं अध्यक्षता करते हुये इन्दौर के प्रसिद्ध पत्रकार एवं चिंतक श्री चिन्मय मिश्र जी 'देश में सद्भावना की महत्वता' विषय पर  व्याख्यान देंगे।



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