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राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति ने प्रेम जनमेजय, लालित्य ललित, बसंती पंवार, माधव राठौड़ को पुरस्कृत किया


श्रीडूंगरगढ़। साहित्यिक संस्था राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति की ओर से 14 सितम्बर  को सृजन पुरस्कार समारोह का आयोजन किया गया। इसमें संस्था की सर्वोच्च उपाधि साहित्यश्री एवं डॉ. नन्दलाल महर्षि हिन्दी, पं.मुखराम सिखवाल स्मृति राजस्थानी साहित्य सृजन व बृजरानी भार्गव युवा साहित्य पुरस्कार से अलंकृत किया गया। इस अवसर पर वैश्विक फलक पर हिन्दी विषय पर संगोष्ठी भी हुई।
संस्कृति भवन के सभागार में हुए इस समारोह की अध्यक्षता करते हुए डॉ. उमाकान्त गुप्त ने कहा कि साहित्यकार समाज को  दर्पण दिखाता है। हिन्दी व्यक्ति का शरीर है और क्षेत्रीय भाषाएं इसका अंग है। हिन्दी एक विकसित एवं व्यापक भाषा है। हम अपनी भाषा, संस्कृति व अस्मिता को हिन्दी भाषा से ही बचा सकते है। उन्होंने कहा कि हिन्दी बाजारवाद की भाषा है। हमारी भाषा हिन्दी सभी तरह की समरसता से ओतप्रोत है।
समारोह के मुख्य अतिथि राजस्थानी कथाकार डॉ. चेतन स्वामी  ने कहा कि हिन्दी राष्ट्र भाषा होते हुए भी अंग्रेजी इस भाषा को लील रही है।  जब तक लेखक के विचार व शब्दों में दृढ़ता नहीं होगी तब तक वह कोई रास्ता नहीं बना पाएगा। लेखक वैचारिक आधार के बिना कालजयी रचना का निर्माण नहीं कर सकता। साहित्य मनोरंजन व स्वान्त सुखाय का साधन नहीं है, बल्कि साहित्य का उद्देश्य होना चाहिए।
साहित्यश्री से पुरस्कृत प्रेम जनमेजय ने बताया कि हिन्दी का सूर्य अस्त नहीं होने वाला है।  हिन्दी दिन का उजाला व रात की चान्दनी है। हिन्दी हर गरीब की भाषा है। पुरस्कार अलंकार प्राप्त करना मेरे लिए गर्व की बात है। हिन्दी सृजन से पुरस्कृत लालित्य ललित ने कहा कि  इस तकनीकी युग ने हिन्दी भाषा को गति दी है। विदेश में रह कर भी कोई हमारी भाषाा  व संस्कृति से अछूता नहीं है। बाजारवाद के समय में यह संस्था साहित्य व हिन्दी भाषा का प्रचार प्रसार समूचे भारत में कर रही है।  राजस्थानी साहित्य सृजन से पुरस्कृत बसंती पंवार ने बताया कि हिन्दी धैर्य संवेदनाओं और राष्ट्र की सर्वोच्च एवं वैज्ञानिक भाषा है।
  लायन महावीर माली ने कहा कि आज विदेशी नागरिक भी हिन्दी भाषा को अपना रहे है। यह हमारे देश के लिए सुखद अनुभव है।  संस्था के अध्यक्ष श्याम महर्षि ने भाषा के विकास में संस्थागत एवं जन सहयोग की हिमायत करते हुए भाषायी विकास की बात कही। युवा साहित्यकार रवि पुरोहित ने कहा कि यदि कोई साहित्यकार किसी सामाजिक विद्रुप या मू्रल्यगत विचलन के विरूद्ध आवाज नहीं उठाए तो यह सांस्कृतिक  हमले का ही प्रतिरूप है।  संस्था के डॉ. भंवर भादानी ने आभार जतायाा। इस दौरान एडवोकेट शोभाचन्द आसोपा, कोषाध्यक्ष रामचन्द्र राठी, सत्यदीप, कानाराम तडऱ्, सहीराम जाट, डॉ. मदन सैनी, तुरजमल बोधीजा,  भंवरलाल भोजक, श्रीभगवान सैनी, रेवन्त मल नैण, श्रीगोपाल राठी, विजयराज सेवग, सोम शर्मा, सुरेन्द्र्र महावर, दयाशंकर शर्मा सहित कई विद्वजन उपस्थित थे।
      प्रेम जनमेजय को 'साहित्यश्री , लालित्य ललित, बसंती पंवार, माधव राठौड़ को साहित्य सृजन पुरस्कार




दिल्ली के प्रेम जनमेजय को सामाजिक सराकारों के लिए मल्लाराम माली की स्मृति में दी जाने वाली संस्था की सर्वोच्च उपाधि साहित्यश्री से अलंकृत किया गया। इसी प्रकार डॉ. नन्दलाल महर्षि स्मृति हिन्दी सृजन पुरस्कार दिल्ली के लालित्य ललित, पं. मुखराम सिखवाल स्मृति राजस्थानी साहित्य सृजन पुरस्कार बसंती पंवार व बृजरानी भार्गव स्मृति युवा साहित्य पुरस्कार जोधपुर के माधव राठौड़ को दिया गया।  यह पुरस्कार डॉ. उमाकान्त गुप्त, डॉ. चेतन स्वामी, संस्था अध्यक्ष श्याम महर्षि, मंत्री बजरंग शर्मा, महावीर माली ने प्रदान किया। इस सम्मान स्वरूप ग्यारह-ग्यारह हजार रुपए व युवा पुरस्कार इक्यावन सौ रूपए, प्रशस्ति पत्र, शॉल एवं प्रतीक चिह्न दिया गया।


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