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फिर देखना एक दिन (कविता)






*मोहित सोनी*


सफ़र
ज़िन्दगी का
यूँ कट जाएगा,
वक़्त
ख्वाहिशों-जरूरतों में
बंट जाएगा,


हिम्मत न हार के,
मुश्किलों के आगे
जमकर जो तू
डट जाएगा,


कर्म समर्पित
भक्ति से,
मन के विश्वास
की शक्ति से,
बादल संशय का
छंट जाएगा।


ना घुट-घुट कर जी
छोटी-मोटी
असफलता से कोई
रूतबा न तेरा घट जाएगा।


निराशा त्याग,
दीप जला
अंतर्मन की आग
बुझने से पहले
आशा का तूफान
तोड़ तट जाएगा ।


कोशिश कर
मत हार मान,
लक्ष्य होगा हासिल,
लगा दे जी-जान,


फिर देखना,
एक दिन,
किस्मत का रथ,
मेहनत से,
तेरी ओर,
पलट जाएगा।


*मोहित सोनी, तिलक मार्ग, कुक्षी, जिला-धार,म.प्र.





 

 


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