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है शायरी रफ्तार पर ( गजल)



*भारती शर्मा*




थम चली थी जो कभी है ज़िन्दगी रफ़्तार पर

साथ तेरा यूँ मिला है हर खुशी रफ्तार पर

 

तुम न थे जब पास हर सू थी ग़मों की  स्याहियाँ

हर दिशा में दीखती अब रोशनी रफ्तार पर

 

हैं ज़मीं पर पाँव लेकिन छू रही हूँ आसमां

चाँद मुस्काये मुसलसल चाँदनी रफ्तार पर

 

दूर है हर ख़ौफ़ से नाकाम हैं सब कोशिशें

कोई न रोको इसे है दिल्लगी रफ्तार पर

 

नज़्म हैं अब रंग में  और हर ग़ज़ल बेबाक है

रूह तक उतरेगी ये है शायरी रफ्तार पर


 


*भारती शर्मा (अलीगढ़) मोबा.  8630176757

 



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