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भोज शोध संस्थान में गांधी चर्चा

ईश्वर सत्य नहीं सत्य ही ईश्वर है - श्री चिन्मय मिश्र 


धार ।सत्य, अहिंसा और ग्रामोदय के प्रतीक गांधी जी आज भी  प्रासंगिक है। गांधी जी सदैव सत्य के पक्षधर रहे हैं। जीविका और जीवन मूल्यों का संकट आजादी के पूर्व व पश्चात यक्ष प्रश्न के समान हमारे सम्मुख है। ग्रामोदय देश की आर्थिक उन्नति में अत्यंत महत्वपूर्ण है। 1820 तक कपड़े, धातु , मसालों से विश्व में  हिन्दूस्तान का योगदान 24 प्रतिशत था, यूरोप का 23 प्रतिशत तो अमेरिका का शून्य प्रतिशत था। आज स्थिति वैसी नहीं है। गांधी जी ने देश को एकजुट करने में महती भूमिका निभाई है। गांधी जैसे लोग शताब्दियों में एक बार ही पैदा होते हैं। बीसवीं शताब्दी की परमाणु बम और गांधी जी दो  महत्वपूर्ण देन है। परमाणु बम विनाश का तो गांधीजी सृजनात्मकता के प्रतीक है। उक्त विचार प्रसिद्ध गांधीवादी नेता श्री चिन्मय मिश्र ने भोज शोध संस्थान द्वारा आयोजित गांधी चर्चा में व्यक्त किए। गांधी चर्चा उत्कृष्ट विद्यालय में आयोजित की गई। गांधीवादी श्री मिश्र ने कहा कि बच्चों के सम्मुख बोलना बड़ा कठिन है क्योंकि बच्चों से सत्य ही बोलना पड़ता है। भारत के लिए मैकाले की नहीं गांधी जी द्वारा सुझाई शिक्षा प्रणाली ज्यादा उचित है।  गांधीजी रामराज्य की संकल्पना के अनुयाई थे, पर धर्म विशेष के अनुगामी नहीं थे। गांधीजी के 18 रचनात्मक कार्यों में सांप्रदायिक सौहार्द प्रथम स्थान पर था। कार्यक्रम के विशेष अतिथि सलाम मुंबई फाउंडेशन के मध्य प्रदेश प्रभारी मुंबई निवासी श्री अजय पिलनकर थे। उन्होंने कहा कि युवाओं में गांधीजी की अवधारणा फिल्मों से आती रही है लेकिन राष्ट्रपिता की अवधारणा उनके विचारों से ही पता चलती है। बच्चों के लिए गांधीवादी विचार संपूर्ण जीवन के लिए लाभकारी है। गांधी जी नशे के प्रबल विरोधी थे। महाराष्ट्र सरकार व्यसन मुक्ति पर गांधी स्मृति राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदान करती है। नशा युवा पीढ़ी के लिए घातक है। बच्चे अपने प्रयासों से घर को व्यसन मुक्त बना सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में 80 लाख लोग प्रतिवर्ष नशे के कारण असमय मरते है। तंबाकू में 7000 केमिकल है जो मानव के लिए घातक है। नशा शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक कई अपनी प्रकार की क्षति देता है। मध्यप्रदेश में नशा मुक्ति कार्यक्रम के लिए प्रभावी कदम उठाने का समय आ गया है। भोज शोध संस्थान धार व झाबुआ जिले में तम्बाकू निषेध में सार्थक कार्य कर रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य श्री विजय मालवीय ने बच्चों को गांधीवादी विचारों से प्रेरणा लेकर सत्य, अहिंसा,  स्वच्छता और नशे से दूर रहने के प्रयास करना चाहिए। गांधी चर्चा का आरंभ करते हुए भोज शोध संस्थान के निर्देशक डॉ दीपेंद्र  शर्मा ने कहा कि गांधी जी आज भी प्रासंगिक है।  गांधी चर्चा का उद्देश्य नई पीढ़ी विशेषकर बच्चों में गांधीवादी विचारों का आदान प्रदान करना है। गांधी आजादी आंदोलन के नरम दल के एक महत्वपूर्ण सेनानी रहे हैं।  गांधी चर्चा के आरंभ में अतिथियों का स्वागत परम्परागत सूत की मालाओं से डॉ श्रीकांत द्विवेदी , श्रीमती नीता शर्मा, प्रभाकर खामकर, उत्कृष्ट विद्यालय छात्र संघ से अंजू वैष्णव और श्याम शर्मा सर ने किया। आभार पराग भोसले ने व्यक्त किया। मंचीय व्यवस्था सुनीता धार्वे और सलोनी राठौर ने की। यह जानकारी मीडिया प्रभारी राकी मक्कड़ ने दी।

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